गाँव ! हमारा बचपन दे दे !

डाॅक्टर दिवाकरदत्त त्रिपाठी

        गीत 


गाँव ! हमारा बचपन दे दे !

वह मिट्टी के सुघर खिलौने ।
वह काली बकरी के छौने ।
वह मेरे गुड्डे की शादी ,
रोती सी गुड़िया के गौने ।

जो करता था बात तोतली ,
वही सलोना आनन दे दे !
गाँव ! हमारा……………

खट्टे मीठे आम रसीले ।
सिंदूरी,धानी या पीले ।
दाग छोड़ते थे कपड़ो पर
फूट गये गर जामुन नीले।

लौटा दे कागज की नावे,
वही बरसता सावन दे दे !
गाँव !…………………

कंचा,तिक्का, लुका-छिपाई।
गिल्ली डंडा , छुवा छुवाई ।
चोर सिपाही,खेल कबड्डी,
भागम भाग, पकड़ पकड़ाई।

वह बचपन के सारे साधन,
घर दुवार वह आँगन दे दे !
गाँव ! हमारा ……………


रचनाकार- डा. दिवाकर दत्त त्रिपाठी