पत्रकारिता के मूल्यों में वर्तमान परिवेश में आयी है गिरावट : अभय शंकर गौड़

कछौना/बघौली (हरदोई) :

सुन्नी स्थित भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के कार्यालय पर हिंदी पत्रकारिता दिवस (30 मई) का कार्यक्रम बड़े धूमधाम व उल्लास के साथ विशिष्ट जनों की सरपरस्ती में मनाया गया। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया की भूमिका पर इस कार्यक्रम में गहन विमर्श किया गया ।

IV24 के प्रबन्ध निदेशक आदित्य त्रिपाठी आगन्तुक का सम्मान करते हुए

पत्रकार व लेखक राघवेन्द्र त्रिपाठी ‘राघव’ ने बताया कि हिन्दी पत्रकारिता दिवस को तीस मई को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि 30 मई 1826 को कानपुर के पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने बंगाल से देवनगरी लिपि का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड का प्रकाशन प्रारम्भ किया था । पत्रकारिता में क्रांति का रंग गणेशशंकर विद्यार्थी जैसे मूर्धन्य पत्रकारों ने भरा। वर्तमान समय में पत्रकारिता के मूल्यों में गिरावट आई है। अब पत्रकारिता नैतिक व विचारधारा की न रहकर व्यवसायिक हो गई है। जिसके कारण पत्रकारिता पर दलाली का ठप्पा लग गया है। जबकि पत्रकारिता समाज के अंदर सामाजिक चेतना जगाने का कार्य करती है।

पत्रकार राम लखन सविता ने अपने संबोधन में बताया कि इन आयोजनों से हमें अपने अंदर का आत्म विश्लेषण करने का मौका मिलता है। वहीं वरिष्ठ जनों से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिलता है। सुधीर अवस्थी के दोनों पुत्रों ने स्वरचित कविता के माध्यम से पत्रकारिता पर प्रकाश डाला। वहीं वरिष्ठ पत्रकार धनीराम श्रीवास्तव ने बताया वर्तमान समय में पत्रकारों को अपनी गरिमा बचाए रखने की कठिन परीक्षा हैं। आप लोग समाज के निष्पक्ष प्रहरी बनकर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपना अहम योगदान दें। राष्ट्रीय सहारा संवाददाता ने बताया यह एक पेसा नहीं है। समाज के उत्थान का यह एक पवित्र मार्ग है। यह एक जज्बा है। जो समाज को नई दिशा देता है।

वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश सिंह ने अपने संबोधन में बताया हिंदी पत्रकारिता दिवस बहुत ही पुनीत अवसर है। वर्तमान परिवेश के अनुसार पत्रकारिता की परिभाषा बदल गयी हैं। पहले पन्नो पर उसकी लेखनी का मापदंड होता था। अब सरकुलेशन व विज्ञापन का मापदंड होगा है। पत्रकार का सदैव सत्य, तथ्य परक बिना भेदभाव से निष्पक्ष रुप से पत्रकारिता की आड़ में दलाली से दूर रहें। जिससे उनके व्यक्तित्व पर कोई उंगली न उठा सके। जिला पंचायत सदस्य सुरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा पत्रकार गरीब, शोषित, वंचित समाज की समस्याओं को उठाकर शासन प्रशासन तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम है।

दूरदर्शन के वरिष्ठ पत्रकार अभय शंकर गौड़ ने अपने संबोधन में कहा कि पत्रकारिता के मूल्यों में वर्तमान परिवेश में गिरावट आई है, जिसको बचाने की जिम्मेदारी है। जो पत्रकारिता पर संकट खड़ा है, उसे आत्म विश्लेषण के साथ दूर कर उसकी साख को बरकरार रखना है। समाचार समाज से निकलना चाहिए न कि राजनीतिक पार्टियों से ।

प्रशासन की तरफ से मुख्य अतिथि राष्ट्रीय ग्रामीण अभियंत्रण विभाग से विपिन कुमार चौधरी ने संबोधन में इन आयोजनों से पत्रकारिता की दशा, उसका आधार, उसमें होने वाली चुनौतियों पर चर्चा का बहुत ही अच्छा मंच है। हमारे संविधान ने अभिव्यक्ति की आजादी की ताकत दी है। जिसका पत्रकारिता का रूप विकसित होता है। इसी क्रम में वरिष्ठ पत्रकार विजय पांडे, ऋषि सैनी, अध्यक्ष किसान यूनियन समर सिंह, सहायक विकास पंचायत अधिकारी राजकुमार सिंह, थाना अध्यक्ष बघौली फूलचंद्र सरोज ने अपने अपने विचार रखें।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता, आरटीआई एक्टिविस्ट को शाल ओढ़ाकर, डायरी व पेन देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों ने बढ़-चढ़कर प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन अपने ओजस्वी अंदाज में वरिष्ठ पत्रकार व भारतीय राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ के जिला अध्यक्ष सुधीर अवस्थी (परदेसी) ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार देवेंद्र कुमार सिंह उर्फ़ बबलू सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य ओमप्रकाश मिश्रा, विनय कुमार सिंह, वीरपाल सिंह, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, आकाशदीप पाण्डेय, सनातन धर्म प्रचारक राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद कुमार मिश्रा, आरटीआई एक्टिविस्ट सुनील वैश्य (राधे राधे), रितेश गुप्ता, देवेंद्र गुप्ता, हसमत अली, श्यामजी तिवारी, आकाशदीप पाण्डेय, उमाशंकर बाजपेई, रामशंकर आजाद, केपी सिंह, अजय सिंह, नंदकिशोर विश्वकर्मा, गौरव मिश्रा, आशु सिंह, पी०डी० गुप्ता, दीपक श्रीवास्तव, मनीष यादव, सुखबीर सिंह सेंगर, रामजी गुप्ता, आदित्य त्रिपाठी, अंकित कुमार वर्मा, मंशाराम चक्रवर्ती, प्रशांत तिवारी, सौरव श्रीवास्तव, अनूप जायसवाल, रामेंद्र सैनी आदि ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।