आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय के ‘मार्गदर्शन’ में ‘दु:ख को मित्र बनाना सीखें’

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प्रिय विद्यार्थिवृन्द!
सारस्वत पथ पर अग्रसर रहे!

कल आता है; क्योंकि कल १४ जुलाई है और दिन बुद्धवार। आप इसी दिन प्रतिसप्ताह ‘अमर उजाला उड़ान’ पत्रिका में ‘मार्गदर्शन’ स्तम्भ के अन्तर्गत ‘व्यक्तित्व-संवर्द्धन’ और ‘व्यक्तित्व-परीक्षण’ से सम्बन्धित ऐसे विचार और चिन्तन-प्रधान लेख का अध्ययन करते हैं, जो आप सभी के लिए, विशेषत: प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए अत्युपयोगी (अति+उपयोगी) सिद्ध होते आ रहे हैं।
आपके लिए परीक्षोपयोगी फ़ीचर सम्पादक प्रियवर ‘अभिषेक सक्सेना जी’ कभी ‘कवर स्टोरी’ तो कभी ‘मार्गदर्शन’ के अन्तर्गत आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करते आ रहे हैं।

हमने पिछले अंकों में आप सभी को ‘विफलता को अपनी ‘सफलता’ बनायें’, ‘अनुवादकला का ज्ञान’, ‘संक्षेपण’/’सारलेखन-कला’, ‘आलस्य की पाठशाला से दूर रहे!’ ‘धैर्य-संयम की ओर हाथ बढ़ायें’ आदिक के बोध विस्तारपूर्वक कराये थे।

‘मार्गदर्शन’ के अन्तर्गत ‘कल’ (१४ जुलाई) के अंक में हम आपको ‘दु:ख को मित्र बनाना सीखें’ के माध्यम से घोर दु:ख की अवस्था में भी मन-मस्तिष्क को संतुलित बनाते हुए, प्रगति-पथ पर कैसे अग्रसर हुआ जाता है, इसका संज्ञान करायेंगे। इससे आपकी ‘जिजीविषा’ (जीने की इच्छा) और ‘जिगीषा’ (जीतने की प्रबल इच्छा) को बल मिलेगा, जो आपको स्वत:-स्फूर्त चेतना के साथ सम्पृक्त (जोड़ती) करेगा और आपके मन-प्राण को आशा, विश्वास तथा कर्त्तव्यपरायणता से सम्बद्ध भी।
आप ‘अमर उजाला उड़ान’ के आन्तर्जालिक (ऑन-लाइन) ग्राहक बनकर प्रतिसप्ताह ज्ञानगंगा में डुबकी लगा सकते हैं।
तो आइए! उपर्युक्त ‘कल’ की प्रतीक्षा करें।