विकास दुबे-प्रकरण– माता-पिता के विरोधाभास बयान

— आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

विकास दुबे की माता जी सरला दुबे कहती हैं– मेरा बेटा अपराधी है; आतंकी है, उसका ‘एनकाउण्टर’ कर दीजिए। मैंने उसे बहुत समझाया कि अपराध की दुनिया छोड़कर शरीफ़ का जीवन जीना शुरू कर दे; परन्तु नहीं माना। अब उसने हमें कहीं मुँह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।

विकास दुबे के पिता– रामकुमार दुबे

विकास दुबे के पिता जी ८५ वर्षीय रामकुमार दुबे कहते हैं– मेरा बेटा निर्दोष है। घटना के दिन वह घर पर था ही नहीं। आगे चलकर, वे अपना बयान बदल लेते हैं– विकास घर पर था; परन्तु उसका घटना से कोई लेना-देना नहीं है, फिर कहते हैं, कोर्ट में इसका फैसला हो जायेगा।

दूसरी ओर, पुलिस-गिरिफ़्त में विकास का एक गुर्गा दयाशंकर ऐसे-ऐसे रहस्यों पर से पर्द: उठा रहा है, जो पुलिस-तन्त्र को चौंका रहे हैं।

अब विषय की गम्भीरता को समझते हुए, विकास दुबे की गिरिफ़्तारी की धनराशि ५० हज़ार से १ लाख रुपये कर दी गयी है और उसके गुर्गों की २५-२५ हज़ार रुपये।
सैकड़ों की संख्या में पुलिसकर्मी देशभर में फैल चुके हैं। न्यायालयों की नाकेबन्दी कर दी गयी है। अब देखना है, दुर्दान्त अपराधी और उसके गुर्गों की गिरिफ़्तारी कब तक होती है?

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ५ जुलाई, २०२० ईसवी)
चित्र– रामकुमार दुबे और सरला दुबे।