बैंकों के डूबे कर्ज के संकट से निपटने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। भारतीय रिजर्व बैंक को इस अध्यादेश से समस्या से निपटने के लिए ज्यादा प्रभावी अधिकार मिल जाएंगे। पिछले कुछ वर्षों से बैंकों के कर्ज न वसूल होने की समस्या काफी बढ़ चुकी है। दिसम्बर 2016 के आखिर में सार्वजनिक बैंकों का डूबे कर्ज छह लाख करोड़ से अधिक हो चुका था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार ने अर्थ व्यवस्था को सुधारने के लिए पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रयास किए, लेकिन बैंकों का डूबे कर्ज एक बड़ी चुनौती बना रहा। श्री जेटली ने कहा कि नये अध्यादेश से रिजर्व बैंक को बैंकों का कर्ज न चुकाने वाली कम्पनियों के खिलाफ दिवालिया और धन शोधन अक्षमता संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही रिजर्व बैंक डूबे कर्ज की समस्या से निपटने के लिए बैंकों को सलाह देने के लिए एक या उससे अधिक निगरानी समितियों का गठन भी कर सकेगा। ये एक ऑनगोइंग प्रोसेस है। उस प्रोसेस में और तेज गति आए, जिसमें रेजिलूशन्स हो और इनसौलवेन्सी और बैंककरप्सी कोड उसका एक बहुत बड़ा तंत्र है । कई बार पूर्ण सहमति बैंकस की न होने की वजह से उस प्रक्रिया में देरी होती थी। उसके संबंध में भी आदेश जारी हो सकते हैं। ये सारा इंपावरमेंट आरबीआई को इसके माध्यम से किया गया है। श्री जेटली ने कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक मिलकर इस समस्या का समाधान करेंगे।