नोटबन्दी का उद्देश्य कालेधन को सफेद करना था : पी चिदंबरम

रिजर्व बैंक की 2016-17 की रिपोर्ट पर बोलते हुए आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नोटबन्दी जिस उद्देश्य से लायी गयी थी उसमें सरकार को सफलता मिली है और वह आगे बढ़ रही है । आरोपों पर उन्दोंने कहा कि इसका मकसद आम लोगों का धन जब्त करना नहीं था । नोटबंदी का उद्देश्य वास्तव में कालेधन को समाप्त करना और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना था । इसी के साथ सरकार अर्थव्यवस्था को लेस-कैश से होते हुए कैशलेस तक ले जाने को प्रतिबद्ध है । हमारी सरकार इस दिशा में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र भाई मोदी जी के नेतृत्व में धीरे धीरे आगे बढ़ रही है।
2016-17 की रिपोर्ट में रिजर्व बैंक ने कहा है कि 30 जून 2017 तक उसके पास बंद किए गए 15.28 लाख करोड़ रुपये के नोट वापस आ गए हैं । ममतलब साफ है कि सर्कुलेशन से हटाये गये कुल नोटों का 99 फीसदी हिस्सा जमा हो गया है । रिपोर्ट में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद 1,000 रुपये के लगभग 8.9 करोड़ नोट यानी 8,900 करोड़ रुपये वापस नहीं आये हैं । रिजर्व बैंक को घेरते हुये पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने नोटबंदी पर कहा है कि केन्द्रीय बैंक को नोटबंदी की ‘सिफारिश’ करने के लिए शर्म आनी चाहिए । श्री चिदंबरम ने ट्विट के जरिए रिजर्व बैंक को घेरने का प्रयास करते हुए कहा कि रिजर्व बैंक ने जो आंकड़े दिये हैं उससे यह झलकता है कि कि नोटबंदी योजना कालेधन को सफेद करने के लिए लायी गयी थी । उन्होंने आगे कहा कि नोटबंदी के दौरान मात्र 16 हजार करोड़ रुपये के नोट ही वापस नहीं आये हैं, शेष 15.44000 करोड़ रुपये बैंकों में जमा करा दिए गये हैं । क्या सरकार बताएगी कि काला धन कहाँ चला गया है ।