‘पण्डित हेरम्ब मिश्र-स्मृति पत्रकारिता-संस्थान’ की ओर से लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार एवं विचारक पं० हेरम्ब मिश्र की स्मृति मे उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर १७ दिसम्बर को ‘पं० हेरम्ब मिश्र-स्मृति शिखर-सम्मान- समारोह– २०२४’ का आयोजन हिन्दी साहित्य सम्मेलन के मण्डपम् सभागार मे किया गया।
आरम्भ मे अध्यक्ष प्रो० रमाचरण त्रिपाठी एवं मुख्य अतिथि डॉ० लोकेश शुक्ल ने दीप-प्रज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया। उन्होँने माँ सरस्वती एवं पं० हेरम्ब मिश्र के चित्र पर माल्यार्पण किया। सुगम संगीतज्ञ डॉ० लोकेश शुक्ल ने माँ सरस्वती का वन्दन किया। संस्थान के निदेशक एवं पं० हेरम्ब मिश्र के पुत्र बंशीधर मिश्र ने अभ्यागतवृन्द का स्वागत किया।
संयोजक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि के परिचय तथा सम्मानित की गयीँ तीनो प्रतिभाओँ की उपलब्धियोँ से सभागार मे उपस्थित श्रोताओँ को अवगत कराया।
हेरम्ब मिश्र की परनातिन भुवि मिश्र ‘कुहू’ ने भरतनाट्यम् नृत्यशैली के माध्यम से मोहक रामस्तुति प्रस्तुति की।
इस अवसर पर अध्यक्ष प्रो० रमाचरण त्रिपाठी और मुख्य अतिथि डॉ० लोकेश शुक्ल ने पत्रकारिता शिखर-सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार श्री अमरनाथ श्रीवास्तव, साहित्यशिखर- सम्मान से प्रतिष्ठित साहित्यकार एवं प्रशासनिक अधिकारी डॉ० सुरेन्द्रकुमार पाण्डेय तथा युवा मीडियाशिखर-सम्मान से नवोदित मीडियाकर्मी श्री तनु कुमारी को सुशोभित किया। सम्मान के अन्तर्गत उन्हेँ नारिकेल, शॉल, प्रशस्तिपत्र एवं स्मृतिचिह्न प्रदान किये गये।
शिक्षा के क्षेत्र मे महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के लिए सारस्वत शिखर-सम्मान से ९७ वर्षीय शिक्षाविद् श्री प्रेमशंकर खरे शारीरिक अस्वस्थता के कारण उपस्थित नहीँ थे, फिर उन्हेँ उनके निवासस्थान जाकर सम्मानित किया गया।
सम्मानित विशिष्टजन ने सम्मान प्राप्त करने के बाद अपने भाव व्यक्त किये। प्रेमशंकर खरे ने कहा– हेरम्ब जी एक लेखक और महान् विचारक थे। हम हेरम्ब जी की पत्रकारिता से निरन्तर सम्बन्धित रहे। अमरनाथ श्रीवास्तव ने कहा– इस सम्मान प्राप्त करने के बाद मेरा दायित्व और बढ़ गया है। डॉ० सुरेन्द्रकुमार पाण्डेय ने कहा– साहित्य समाज को संजीवनी देने का काम करता है। तनु कुमारी ने कहा– मैने बड़ोँ से सीखा है। मुझे अभी बहुत कुछ सीखना है।
वक्ता के रूप मे वरिष्ठ पत्रकार अजामिल ने पं० हेरम्ब मिश्र के विषय मे विचार प्रस्तुत करते हुए बताया– जिन लोग से मैने पढ़ना-लिखना सीखा है, उनमे हेरम्ब जी का प्रमुख स्थान है। वरिष्ठ पत्रकार सुनील श्रीवास्तव ने कहा– मैने हेरम्ब मिश्र जी को देखकर, पढ़कर, सीखकर पत्रकारिता सीखी और एकलव्य बना। हेरम्ब जी के पुत्र बंशीधर मिश्र ने कहा, “मेरे पिता जी बहुत पढ़ते थे। उनका कहना था– किसी विषय पर कहने-लिखने से पहले उस विषय की गहराई मे जाओ।
उपर्युक्त समारोह मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व-प्रतिकुलपति, गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के पूर्व-निदेशक, स्वराज विद्यापीठ के कुलगुरु एवं प्रख्यात गांधीवादी चिन्तक-विचारक प्रो० रमाचरण त्रिपाठी ने समारोह-अध्यक्ष के आसन से सम्बोधित करते हुए कहा– एक बहुत बड़ा काम, जो हेरम्ब मिश्र जी की स्मृति मे हो रहा है, वह सराहनीय है। आज जो लोग दिग्भ्रमित हैँ, उन्हेँ शिक्षक, साहित्यकार एवं पत्रकार ही दिशा दिखाने का काम करते आ रहे हैँ। यही कारण है कि पत्रकारिता एवं साहित्य समीचीन बोध की माँग करते हैँ। उन्होँने आगे कहा– मूल्य, मन-मस्तिष्क बुद्धि बनानेवाली पत्रकारिता तिरोहित हो गयी है। जो दिखायी दे रही है, वे ‘व्यापारी मन’ बना रही हैँ।
प्रतिष्ठित संस्कृतिधर्मी, आकाशवाणी के पूर्व सहायक निदेशक एवं दूरदर्शन के पूर्व-कार्यक्रम-प्रमुख डॉ० लोकेश शुक्ल ने मुख्य अतिथि के रूप मे कहा– पं० हेरम्ब मिश्र पत्रकारिता के वटवृक्ष रहे हैँ। उन्होँने पत्रकारिता के मूल्योँ के साथ समझौता नहीँ किया था। वे आज भी पत्रकारोँ के लिए प्रेरणा-पुरुष बने हुए हैँ।
इस अवसर पर राष्ट्रगान-गायन किया गया। इस संस्थान से कई दशक से प्रत्यक्ष-परोक्ष सम्बद्ध, शिखरसम्मान-समारोह मे अध्यक्ष, मुख्य अतिथि रहे तथा मीडियाशिखर-सम्मान से समादृत देश के कई आकाशवाणी-केन्द्रोँ-सहित इलाहाबाद आकाशवाणी के पूर्व- कार्यक्रम-अधिशासी एवं इलाहाबाद दूरदर्शन-केन्द्र के पूर्व वरिष्ठ निदेशक चिन्तक-विचारक स्मृति-शेष श्याम विद्यार्थी जी की स्मृति मे एक शोकसभा आयोजित कर, भावांजलि अर्पित की गयी। भाषाविद् आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने समारोह का संयोजन एवं संचालन किया।
इस अवसर पर रामेन्द्र कुशवाहा, पुनीतकुमार श्रीवास्तव, शाम्भवी, डी० एन० सारस्वत, मीनाक्षी मिश्र, भाव्या मिश्रा, राजेश पाण्डेय, अभिषेक केसरवानी, सौम्या जैन, संदीप दीक्षित इत्यादिक सुधिजन की बड़ी संख्या मे समुपस्थिति थी।