पीबीआर इण्टर कॉलेज के ख्यातिप्राप्त शिक्षक प्रदीप नारायण मिश्र और उनके पुत्र शिवम ने वैज्ञानिक खोज में स्थापित किया नया प्रतिमान

जाने-माने विज्ञान संचारक श्री प्रदीप नारायण मिश्र (लेक्चरर, पी0बी0आर0 इण्टर कॉलेज, तेरवा गौसगंज, जनपद हरदोई एवं कोऑर्डिनेटर, पी.बी.आर. साइंस क्लब VP-UP-0151 ) और उनके पुत्र शिवम मिश्र ने सप्तर्षि-विपनेट कैंपेन की टीमों में उत्तर प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व कर रचा इतिहास ।

IASC (इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल सर्च कोलेबोरेशन), अन्तर्गत नासा स्पेस एजेंसी, के तत्वाधान में विपनेट (विज्ञान प्रसार, भारत सरकार) के सहयोग से हाल ही में सम्पन्न हुए अखिल भारतीय एस्टेरॉयड खोज कार्यक्रम: इग्नाइटेड माइण्ड्स- SKYAAC सप्तर्षि इण्डिया ऐस्टेरोइड सर्च कैंपेन में चयनित होने वाले उत्तर प्रदेश के विज्ञान संचारकों व विज्ञान शिक्षकों ने वैज्ञानिक खोज में एक नया प्रतिमान स्थापित किया है।

विज्ञान प्रसार के विपनेट क्लबों की अखिल भारतीय स्तर की विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों की 10 टीमों ने 06 अक्टूबर- 03 नवम्बर 2020 के मध्य इग्नाइटेड माइण्ड्स- SKYAAC सप्तर्षि इण्डिया ऐस्टेरोइड सर्च कैंपेन में प्रतिभागिता की, जिसमें जाने-माने विज्ञान संचारक व शिक्षक श्री प्रदीप नारायण मिश्र (लेक्चरर, पी0बी0आर0 इण्टर कॉलेज, तेरवा गौसगंज, जनपद हरदोई एवं कोऑर्डिनेटर, पी0बी0आर0 साइंस क्लब VP-UP-0151 ) ने क्लब के एक अन्य सक्रिय सदस्य श्री शिवम मिश्र, जो कि उनके पुत्र भी हैं, के साथ सप्तर्षि-विपनेट कैंपेन की टीमों में उत्तर प्रदेश राज्य का प्रतिनिधित्व किया। कैंपेन हेतु अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञान संचारकों की चयन प्रक्रिया पूर्ण होने पर श्री प्रदीप नारायण मिश्र जी को उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के चयनित विज्ञान संचारकों, शिक्षकों व छात्रों की सप्तर्षि-विपनेट टीम संख्या 08 का नेतृत्व करने का भी अवसर प्राप्त हुआ ।

IASC (इंटरनेशनल एस्ट्रॉनॉमिकल सर्च कोलैबोरेशन) का मुख्य कार्य टेलीस्कोप के माध्यम अन्तरिक्ष से उच्च क्वालिटी का एस्ट्रॉनॉमिकल डाटा सिटिज़न साइण्टिस्टों को उपलब्ध कराना होता है जिसकी सहायता से अन्तरिक्ष के ऑब्जेक्ट को ऑब्ज़र्व करते हैं। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत Pan-STARRS ऑब्ज़रवेटरी से प्राप्त विशिष्ट खगोलीय छायाचित्रों का सॉफ्टवेयर विशेष पर प्रशिक्षित लोगों द्वारा एनालिसिस कर एस्टेरॉयड अर्थात् छुद्रगहों की मौजूदगी का पता लगाकर उनकी खोज की जाती है।

इस कार्य के लिए चयनित प्रतिभागियों ने विज्ञान प्रसार, भारत सरकार के वैज्ञानिक ’एफ’ एवं डिवीज़न हेड खगोलशास्त्र व विपनेट डॉ0 अरविन्द रानाडे एवं कैंपेन के राष्ट्रीय कन्वीनर इग्नाइटेड माइण्ड्स विपनेट क्लब VP-UP0103 की सप्तर्षि टीम के संस्थापक श्री अमृतांशु वाजपेयी के मार्गदर्शन में एवं श्री सुमित कुमार श्रीवास्तव, वैज्ञानिक अधिकारी, इन्दिरा गांधी नक्षत्रशाला, लखनऊ तथा SKYAAC विपनेट क्लब VP-UP0149 के सहयोग से ऑनलाइन 45 दिन का एस्टेरॉयड हंटिंग का गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया। श्री अमृतांशु वाजपेयी एवं श्री सुमित श्रीवास्तव के नाम पर भी पहले से 50 से अधिक प्रीलिमिनरी एस्टेरोयड डिस्कवरीज़ दर्ज हैं।

सम्पूर्ण कैंपेन की 10 टीमों के सिटिज़न साइण्टिस्टों की टीमों ने 81 छुद्रग्रहों की प्रीलिमिनरी खोज की। श्री प्रदीप नारायण मिश्र (कोऑर्डिनेटर, पी0बी0आर0 साइंस क्लब VP-UP-0151) के नेतृत्व में टीम ने सामूहिक एनालिसिस के आधार पर प्रिलिमिनरी स्टेज पर 07 छुदग्रहों की प्रिलिमिनरी खोज की है। श्री प्रदीप नारायण मिश्र के व्यक्तिगत खाते में भी तीन प्रिलिमिनरी खोजें आईं हैं, वैज्ञानिक नामावली के अनुसार जिनको कैम्पेन रिर्काड्स में P1180aR, P1180ml, P11802t नामकरण दिया गया है तथा टीम नामावली रिर्काड्स में VIS1001, VIS1002, VIS1003 नाम रखा गया है। श्री शिवम मिश्रा ने भी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए एक प्रिलिमिनरी खोज व्यक्तिगत तौर पर प्राप्त की है, जिसको कैम्पेन रिर्काड्स में वैज्ञानिक नामावली के अनुसार P117ZTi नाम दिया गया है तथा टीम नामावली रिर्काड्स में VIS3002 नाम रखा गया है।

अन्तरिक्ष में मौजूद उल्का पिंड गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण कभी-कभी हमारी धरती की कक्षा के इतने निकट आ जाते हैं जो कभी भी पृथ्वी से टकराकर महाविनाश का कारण बन सकते हैं इसलिए इन पर पैनी नज़र रखना बहुत जरूरी होता है। लाखों वर्ष पूर्व एक बहुत बड़ा आकाशीय पिण्ड मेक्सिको क्षेत्र में पृथ्वी से टकराया था जिसके कारण क्षेत्र के पूरे डायनासोर विलुप्त हो गए थे। साथ ही साथ सौरमण्डल की उत्पत्ति से लेकर अब तक की समय यात्रा के जीवन्त साक्ष्यों के रूप में छुद्रग्रह, उल्कापिण्ड, धूमकेतु आदि खगोलीय पिण्ड वैज्ञानिक शोधों में भी अग्रिणी स्थान रखते हैं। अतः अन्तरिक्ष में लाखों की संख्या में मौजूद पिण्डों में से कौन-सा पिंड कहाँ है, उस पर नज़र रखने के लिए नासा द्वारा यह सिटिज़न साइंस का प्रोग्राम हर महीने चलाया जाता है।

निवर्तमान में भारत सहित अमेरिका, ऑस्ट्रिया, बांग्लादेश, बोलीविया, ब्राज़ील, बल्गारिया, कैनेरी द्वीप समूह, कोलंबिया, चीन, जर्मनी, ईरान, इटली, नेपाल, पनामा, पोलैण्ड, पुर्तगाल, सर्बिया, श्रीलंका, यूनाइटेड किंग्डम, उराग्वे, वेनेज़ुएला आदि देशों के विज्ञान छात्र व शिक्षक समय-समय पर निरंतर प्रतिभागिता देते रहते हैं।

सिटीजन साइंटिस्ट के तौर पर कोरोनाकाल में में भी पृथ्वी के सुरक्षित भविष्य हेतु उल्कापिंडो के खतरों से बचाने में होने वाले शोध में एक शिक्षक होने के नाते श्री प्रदीप नारायण मिश्र एवं एक छात्र व युवा के तौर पर श्री शिवम मिश्र की भूमिका महती एवं प्रशंसनीय तथा विज्ञान संचार के क्षेत्र में अनुकरणीय है।