इन प्रश्नो के उत्तर उत्तरप्रदेश की जनता जानना चाहती है

उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ को अपने राज्य को सँभालने के स्थान पर बार-बार बंगाल, असम, त्रिपुरा, आन्ध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, केरल आदिक के चुनावी सभाओँ मे जाने की आवश्यकता क्योँ हो रही है? उन्हें अपने राज्य के विकास की चिन्ता यदि रहती तो वे घृणित और बीभत्स शब्दावली ‘पोस्टर ब्वॉय’ के धारक नहीँ बनते।

ऐसे मे, हमारे कुछ प्रश्न हैँ :–
उत्तरप्रदेश-सरकार–
★ जनता को मूलभूत सरकारी स्वास्थ्यसेवाओँ से वंचित क्योँ रख रही है?
★ ‘ज़ीरो टॉलरेँस’ का दावा तो करती है; परन्तु चयनात्मक स्तर पर आपराधिक नियन्त्रण नहीँ करा रही पा रही है, क्योँ?
★ राज्य के बहुसंख्य शासकीय चिकित्सालयोँ, विशेषकर जिला सामुदायिक स्वास्थ्य-केन्द्रोँ मे रोगियोँ की उपेक्षा क्योँ कर रही है?
★ पेट्रोल-डीज़ल के ‘वैट’ मे कमी क्योँ नहीँ कर रही है?
★ अपराध के संदर्भ मे शीर्ष पर क्योँ है?
★ शिक्षित बेरोज़गारोँ को सरकारी नौकरियाँ क्योँ नहीँ दे रही है?
★ किसानो को उनकी लागत का दोगुणा लाभ (नरेन्द्र मोदी-आदित्यनाथ ने घोषणाएँ की थीँ) अभी तक क्योँ नहीँ दे पा रही है? किसानो की खेती चरते आ रहे अवांछित पशुओँ पर नियन्त्रण क्योँ नहीँ कर पा रही है?
★ हर सरकारी विभाग, कार्यालय आदिक मे बिना सुविधाशुल्क दिये जनता के काम क्योँ नहीँ करा पा रही है?
★ अपने भीतर के पापियोँ को ‘पुण्यात्मा’ बताते हुए, पापियोँ की एक बहुत लम्बी शृंखला क्योँ तैयार करती आ रही है?

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ अप्रैल, २०२४ ईसवी।)