कविता : बसंत पंचमी

शालू मिश्रा (युवा साहित्यकार/अध्यापिका, रा.बा.उ.प्रा.वि.सराणा, जालोर)

मधु ऋतु का
हुआ है आगमन,
वसुधा ने किया
पीतांबर धारण ।
प्रकृति में चहुँ ओर
सुगंध छायी हैं,
मनमोहक सी ये
बेला आई है।
समीर में हुआ
केसर सा घुलन,
सरसों ने पीतपुष्प
लिये हैं पहन।
हंसासन पर मां शारदे
देखो आई है ,
ज्ञान-प्रकाश से प्रज्वलित
ज्योत लाई हैं।
अनबूझ मुहूर्त का हुआ
है आज चयन,
कन्याओं को होगा गार्गी पुरस्कार का वितरण।
रंग भरने मस्तानी ऋतु
आई है,
जीवन में नव उमंग व
प्यार लाई है।