शांति का प्रतीक धर्मप्रिय सत्यशील ऐसा देश है हमारा हिन्दुस्तान,
सभी मिलजुल के रहे, दिल की बात खुल के कहें,
मन में तनिक भी नहीं अभिमान, जात और पात की ना करे कोई बात कद्र करते हम सबके जज्बात की,
दुख और सुख में भी खड़े रहते साथ ना करते हम चिंता दिन और रात की,
वीरों के बलिदान का, इस धरा महान का,
करते हम सभी मिल सम्मान है, भारत मां के लाल,
हाथ में लिये मशाल, दुश्मनों की हर चाल को करते नाकाम है,
देश का किसान,जो देश की है शान, उगा अन्न देश को देता जीवनदान है,
सिंह सम दहाड़ भर, घाटियां पहाड़ चढ़,खड़ा सीना तान के जवान है,
मंदिरों में गीता ज्ञान, मस्जिदों में है कुरान,
दोनों धर्मों का अलग-अलग स्थान है, हिंदु मुस्लिमों में प्यार,
सदा रहता बरकरार, सबका ईश्वरसर्वत्र ही समान है,
मां-बाप की तालीम, थोड़ी कड़वी जैसे नीम,
पर सीख उनकी आती सबको सदा काम है,
उनका सर पे जिसके हाथ, सारी खुशियां उसके पास,
जग में होता उसका एकदिन बड़ा नाम है,
है मेरी ख्वाहिश आखिरी, जब भी अंतिम सांस लूं,
हिन्द की धरा पे ही मेरा अंत हो,हिन्दुस्तान है महान,
मेरी जान मेरी शान, इसका रुतबा कायम सर्वदा अनंत हो ।
शिवांकित तिवारी (युवा कवि ) सतना, मध्यप्रदेशसंपर्क:- 7509552096