अभी रुको

आकांक्षा मिश्रा (अध्येता/लेखिका)-


उसने कहा
बार -बार मृत्यु नहीं होगी
जीवन को
जोड़ने के लिए
पीड़ा देती है

मैं चाहता हूँ
हर वक्त साथ रहूँ
प्रकृति रहने नही देती
रूपक में
अभी रुको
तुम्हे निकट से देखना चाहता हूँ
मेरे समीप बैठों
उदास मन जानें क्यों
तुम्हें चाहता हैं

मैं नहीं चाहता गूँगा होना
बोलना चाहता हूँ
सुनोगी तुम
मेरी हर बात को
ध्यान से

तुम रुकोगी मेरा एक
प्रयास होगा
जीवन को सरलता से जीने के लिए
तुम्हारा होना मेरे होने से कही
ज्यादा
सहानुभूति में न होना ,न करुणा में
एक स्त्री मन के ख्याल से तुम मेरे निकट होना ।