
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
मेरी चित्रलेखा की खिलखिलाहट
मुझे निमन्त्रण दे रही है–
अज्ञात प्यास-कुण्ड मे
निमग्न हो जाने के लिए।
सम्मोहक शक्ति के–
संस्पर्श और संघर्षण
मेरी देह के आचरण की
पट-कथा लिख रहे हैँ
और मै सूत्रधार-सम
अपनी ही पराजय की
पृष्ठभूमि सुना रहा हूँ।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० जुलाई, २०२४ ईसवी।)