मौसम वाणी बोलता, होंगे अबकी पस्त

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

एक–
आस्तीन के साँप सब, मत जाओ अब पास।
कदाचार है दिख रहा, कर दो अबकी साफ़।।
दो–
कितने चतुर-सुजान हैं, हवाबाज़ी में दक्ष।
सच की गरदन दाबकर, पाप का रखते पक्ष।।
तीन–
पाप घड़ा का भर रहा, पर पापी हैं मस्त।
मौसम वाणी बोलता, होंगे अबकी पस्त।।
चार–
जनता अब है जागती, सब्ज़बाग़ पहचान।
अच्छे दिन की बात कर, काट लिये सब कान।।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १० अप्रैल, २०२१ ईसवी।)