आवर्तन और दरार

–आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

एक–
राजनीति में दिख रही, नहीं किसी की ख़ैर।
तीर बात-बेबात के, करा रहे हैं बैर।।
दो–
तन-से-तन को दूर रख, मन-से-मन को जोड़।
मानवता पहचान ले, मत कर तू अब होड़।।
तीन–
कपट रूप परहेज कर, माया से रह दूर।
रह जायेगा सब यहीं, आपा होगा चूर।।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० दिसम्बर, २०२० ईसवी।)