कविता– अतिरिक्त

तुम चेहरे की
मुस्कुराहट पर मत जाओ
बहुत गम होते हैं
सीने में दफन।
तुम झूठी
वफाओं में मत आओ
बहुत ख़्वाब होते हैं
आधे अधूरे से।
तुम इन सिमटी हुई
निगाहों पर मत जाओ
बहुत कुछ बिखरा हुआ होता है
छुपी हुई निगाहें में।
तुम टूटे हुए ह्रदय पर
मत जाओ
बहुत शेष होता है प्रेम
औरों के लिए।

राजीव डोगरा
(टी.जी.टी हिंदी)
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गाहलिया
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