यह है ‘जैविक युद्ध’, हाय! लड़ रहा मनुष्य अभागा

अभी समय है, अभी नहीं कुछ भी बिगड़ा है ।
क्रूर-काल कोविड-19, चुप-छुप पास खड़ा है ।
सम्भलो स्वयं, सम्भालो अपनों को भी प्यारे,
‘जीता वही सिकन्दर’ जिसने विजयी युद्ध लड़ा है।।

उसे पूछता कौन, हार कर पीठ दिखा जो भागा ।
जीत सका है कौन, कि जिसने रण में साहस त्यागा।
युद्ध नहीं यह तोपों,बन्दूकों का प्यारे,
यह है ‘जैविक युद्ध’, हाय! लड़ रहा मनुष्य अभागा।।

स्वार्थ-भाव और त्याज्य उच्छऋंखलता अपनाई।
सावधानियाँ भूल गये, ‘वैक्सीनें’ जब से आईं ।
उत्तुंगी संक्रमणी लहरें, फुफकार दिखातीं नर्तन,
‘प्राण-वायु’ का मूल्य, चुकाने की है बारी आई ।।

उत्तरदायित्व नहीं बनता, बस केवल सरकारों का ।
दायित्व प्रथम कर्तव्यों का,तब होता अधिकारों का ।
अपनाओ आयुर्वेद,योग, देशी-दिनचर्या,
निश्चय ही पालन करें, सभी प्रोटोकालों का ।।

प्राइवेट हॉस्पिटल सभी लूट के बने हुए व्यापारी ।
भारी बिल्डिंग,ऊंची डिग्री, पर हैं मिथ्याचारी ।
लाशों तक का भी इलाज, करते दिखलाई देते ।
किंकर्तव्यविमूढ़ क्या करे, विवश ‘पब्लिक-बेचारी’।।

अपनी रक्षा स्वयं कीजिये, L1,L2 भरे पड़े हैं ।
इतनी O2 की मांग, सिलेन्डर ढेरों रिक्त खड़े हैं।
इतना कम ‘स्टाफ-मेडिकल’ कैसे भीड़ सम्हाले?
शमशानों में लावारिश लाशों के जाम लगे हैं ।।

अभी समय है, अभी नही ज्यादा बिगड़ा है ।
दोषारोपण से बचो, देश पर संकट आन पड़ा है ।
‘कोरोना-वारियर(स)’, जुटे हुए चौबीसो घण्टे,
अपना भी दें सहयोग, देश ‘यह’ तुमसे माँग रहा है।।

                   अवधेश कुमार शुक्ला
                      मूरख- हिरदय
         गुरु तेग बहादुर जयंती, मई दिवस
                    01/05/2021