✍ माज़ अंसारी (गौसगंज, हरदोई)-
दी खुशियां तूने जो मुझको, भुलाना न आसान होगा,
मेरी हर कामयाबी पे, तेरा ही नाम होगा।
रखूँगा तेरे हर तर्ज़ को, खुद में समां कर इस तरह,
भूल कर भी खुद को, भुलाना न आसान होगा ।
खुदा भी तुझे मेरा कर, यह सोचता होगा,
बेमिसाल इस प्यार को, भुलाना न आसान होगा।
तेरी रफ़ाक़त से निकल कर, देख ली दुनिया,
तेरी शख्शियत को, भूलना न आसान होगा।
अपना कर तूने मुझे, बड़ा एहसान कर दिया।
तेरे हर सुख़न को, भुलाना न आसान होगा ।
तारीफ क्या करूँ अब तेरी “माज़, तू तो एक फूल है,
तेरी खुशबू को, भुलाना न आसान होगा।