ग़ज़ल: क्या रखा है तेरी याद में

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत”


क्या रखा है तेरी याद में उम्र भर

बे-सुकून क्यों जीते रहें उम्र भर

दिल-लगाया-ओ-इश्क़-आजमाया

तमन्ना क्यों सताती रहे उम्र भर

हँसता हूँ ख़्याल पे कि तुम मेरे हो

ग़ैरों को क्यों तड़पते रहें उम्र भर

जुनूँ में रातें बेहिसाब वफ़ा कर चुके

बेवफ़ा क्यों याद आती रहे उम्र भर

गिला क्या करना ‘राहत’ जहाँ में

याद करने को और भी हैं उम्र भर ।