एक अभिव्यक्ति : हर किसी पे भरोसा तुम जताया न करो

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


हर नज़र से नज़रें तुम मिलाया न करो,
हर शख़्स से निगाहें खिलाया न करो।
कितने एहतियात से तुम्हें सँभाले रखा है,
हर किसी पे भरोसा तुम जताया न करो।
बेहद ज़ालिम ज़माना इतराओ न इतना,
रुख़ से पर्द: इठला के यों हटाया न करो।
शिकारी घात में बैठा बगुलाभगत बनकर,
आस-पास की मछलियों से बताया करो।
चिकनी-चुपड़ी बात को बेबात ही जानो,
मीठी बातों में आकर फँस जाया न करो।
इस शहर का मिज़ाज सवालिये निशां पे है,
आदमख़ोर हर जगह, सँभलके जाया करो।
(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; १८ अप्रैल, २०१८ ई०)