जगन्नाथ शुक्ल, इलाहाबाद-
शंख और अजान से होती है भोर मेरे भारत की,
ये बात है हमारे अटल विश्वास और आदत की।
हिन्द की शान में हम एक ही हैं जान लो ‘जगन’
बात है हिन्द के गौरव औ मातृभूमि के इबादत की।
शंख और अज़ान…………………….. ………………….
गीता,क़ुरान,बाइबिल मिल मनाते ईद और दीवाली हैं,
हिन्दू, मुसलिम, ईसाई सब मनाते क्रिसमस, होली हैं।
जहाँ रंग, वेशभूषा एक मुहब्बत और एक ही बोली है,
बात है उस हिन्द के माटी में सभी रिश्तों के नज़ाकत की।
शंख और अज़ान…………………….. ………………….
जहाँ कोई रहमान बँधाता है हिन्दू बहन से राखी,
जहाँ की एकता का चाँद, सूरज औ गगन है साखी।
मैं दिखाता हूँ आप को उस पवित्र भारत की झांकी,
बात है उस हिन्द के अमन-ओ-चमन औ शराफ़त की।
शंख और अज़ान…………………….. ………………….
जहाँ कोई चंद्रशेखर रहता किसी अशफ़ाक के घर है,
जहाँ दुश्मन को हिलाने के लिए ख़ाक के भी पर है।
मैं बताता हूँ तुम्हें बात ख़ुशबुओं भरे हिन्द के रवानी की,
बात है हिन्द के हर एक शय के कुदरती नफ़ासत की।
शंख और अज़ान…………………….. ………………….