जनवरी आ रही है

फिर एक बार दिसंबर जा रहा है माहे जनवरी आ रही है,
बहुत खुश दिख रहे हो क्या सुकून कि घड़ी आ रही है,
ये तो बताओ दिन तारीख साल के सिवा कुछ और भी बदलेगा,
या जो चलता आ रहा था उसी कि एक एनवर्सरी आ रही है,
फिर एक बार दिसंबर जा रहा है माहे जनवरी आ रही है।

सिगरेट-शराब छोड़ना है मॉर्निंग वॉक करना है फिर से ये सब इरादा करोगे?
पर किसी भी लड़की को देख के माल, आइटम ना कहने का क्या वादा करोगे?

जश्न का शिकार ना हो जाए ट्यूशन गई लड़की देखो कैसे डरी आ रही है,

फिर एक बार दिसंबर जा रहा है माहे जनवरी आ रही है।

मंदिर में किसी लड़की के कपड़ों पर कॉमेंट कर खुद को हीरो बताना,
पीकर शराब कर के कुछ छोटे लोगों कि बेज्जती नव वर्ष मानना,
या खुदा ये सब जानवर हो चुके बस दुःख है कि इंसान कि इंसानियत मरी जा रही है,
फिर एक बार दिसंबर जा रहा है माहे जनवरी आ रही है।

—-सितान्शु त्रिपाठी