कैसे आती बसन्ती ऋतु प्यार की

पवन कश्यप (युवा गीतकार, हरदोई)-

पवन कुमार (युवा गीतकार, हरदोई)

अधखिले पुष्प जब वो खिले ही नहीं ।

कल मिलेंगे उन्होंने ये वादा किया,

एक अरसा हुआ वो मिले ही नहीं।

कैसे आती बसन्ती ऋतु प्यार की

 

मखमली शाम है जिन्दगी आम है,

बिन तुम्हारे ये शुभ रात होती नहीं,

याद करके उजालों के पल आज फिर,

अब अन्धेरों में ये आंख सोती नहीं,

ये दिये रोशनी कैसे देते हमें,

इश्क की आंधियों में जो जले ही नहीं ।

एक नजर से नजर तुमको लग जाये न,

काला टीका लगा दूं नजर के लिये,

नजरें ईमान हैं नजंरे बेईमान भी,

तुम नजरिया बदल दो सफर के लिये,

कैसे उठते तुम्हारी नजर में प्रिये,

अपनी नजरों में जब हम गिरे ही नहीं ।