कब किताबों के पन्नो से
प्यार हो गया
पता ही न चला।
कब अल्फाज़ों का
लफ्ज़ों से इकरार हो गया
पता ही न चला।
कब शब्दों को
मात्राओंं से इश्क़ हो गया
पता ही न चला।
कब प्रकृति का
मानव से आलिंगन हो गया
पता ही न चला।
कब हिंदी की बिंदी ने
प्रेम की अनुभूति करवा दी
पता ही न चला।
डॉ० राजीव डोगरा
(युवा कवि व लेखक)
पता- गांव जनयानकड़
कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश