मेरी जीत भी मेरी हार भी

कोई कह दे कि शाम हो गई है
अब यकीन नही होता।
कदम-कदम पर अब तो बड़ा फरेब होता।
चले कहाँ के लिए और आ गये कहाँ
खुशियों की चादर पर कोई सितारा दिखे
ये सितारे गगन को चूमते हैं।
आँचल के आखिरी छोर तक
बड़ा दिवा स्वप्न
आज मेरी जीत भी आज मेरी हार भी ।

आकांक्षा मिश्रा