मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।
सब देशों में, डंका बजता ।
प्रजातन्त्र है, प्यारा देश ।।
पर्वतराज हिमालय प्रहरी ।
गंगा, यमुना, सरयू गहरी ।
झेलम, कृष्णा अरु कावेरी ।
अमृत जल से सींचे खेत ।।
मेरी माटी , मेरा देश ।
सारे जग से , न्यारा देश ।।
इतना अन्न यहॉं अब होता ।
भूखे देशों को भी देता ।
बदले में कुछ भी न लेता ।
इतना है उपकारी देश ।।
मेरी माटी मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
मेरे देश के सैनिक सारे ।
छप्पन इंच के सीना वाले ।
उन वीरों की क्रांति – कथायें,
बच्चा-बच्चा गाता देश ।।
मेरी माटी मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
ऐसी देश की प्रतिभायें हैं ।
क्या डॉक्टर क्या वैज्ञानिक हैं ।
कुछ कबाड़ के कुशल कबाड़ी,
करते रहते नव उन्मेष ।।
मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश।।
कहीं-कहीं पर हैं दुविधाएं ।
भ्रष्ट आचरण ठग विद्यायें ।
आतंकी अपराध-विधायें ।
मिलजुल करे सामना देश ।।
मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
सदियों रहे हमारे दुश्मन ।
लूट-पाट, क्षति और आक्रमण ।
मिटा न पाए, खुद ही मिट गये ।
ऐसी संस्कृति वाला देश ।।
मेरी माटी मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
अब मशीनरी – क्रांति हर कहीं ।
बस विकास की धार बह रही ।
कोना-कोना तक जगमग है,
सबसे युवा हमारा देश ।।
मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
मेरे देश की माटी चंदन ।
सागर करते नित अभिनंदन ।
ऋतम्भरा है, रत्न प्रसविनी ।
कंचन जैसा इसका वेश ।।
मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
वर्तमान है, जगमग चमचम ।
निश्चय ही भविष्य अब उज्ज्वल ।
लहर-लहर लहराए तिरंगा ।
वंदे मातरम् गाता देश ।।
मेरी माटी, मेरा देश ।
सारे जग से न्यारा देश ।।
अवधेश कुमार शुक्ला
मूरख हिरदै , मूर्खों की दुनिया
आजादी का अमृत काल,
स्वतंत्रता दिवस,
15 अगस्त 2023