नीयत-नीति की सचाई को क्यों धोते हो?

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

सवाल तुमसे, बीमार बीज क्यों बोते हो?
जवाब देते ही अतीत को तुम रोते क्यों हो?
मज़ा तब है, जब पर्वाज़ में बलन्दी हो,
जागते हो कथनी में और करनी में सोते हो?
कोठरी काजल में कब तक बेदाग़ रहोगे तुम!
नीयत-नीति की सचाई को क्यों धोते हो?
ख़ुदगर्ज़ इतने रहो, सुकूँ से हम बरदाश्त करें,
ख़ुद के लिए जगते और ख़ुद के लिए सोते हो।
मंशा की चादर में हर सू पैवन्द दिखता है,
गठरी पाप की अभी हलकी है, जो ढोते हो।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; ३१ जुलाई, २०१८ ई०)