ख़ामोशी

राहुल पाण्डेय ‘अविचल’ :

खामोशी भी एक उलझन सी होती है ,
जो चुप रहती है मगर सोने नही देती है ।
लोग कहते हैं खामोशी गम दूर करती है ,
मुझे तो नही लगता कि यह कुछ ऐसी है ।

बड़े अदब से मैंने उसे पुकारा अपने दुख-दर्द में,
खामोश होकर खामोशी आयी और मैंने महसूस किया।
जिंदगी जब गमों से घिरी होती है ,
खामोशी भी बेवफ़ा सी दूर जाकर खड़ी होती है ।

मुझमे तो कुछ ऐसा भी नही है,
आखिर खामोशी को पुकारूँ कैसे?
मुझे कोई सुनता भी नहीं है ,
आखिर दुख-दर्द सुनाऊं किसको ?

बस इन अस्थायी सांसों का कुछ भरोसा नही है ,
मत तोड़िये विश्वास हर पल तुम्हे महसूस करता हूँ ।
खामोश होकर भी मेरा वादा है,
कभी भी न छोडूंगा तुम्हारा साथ ।

खामोशी का आलम यह है कि ,
कुछ कहता भी हूँ तो कोई सुनता नही है ।
दर्द भरे लम्हों में बस इतनी ही गुजारिश है,
अब छोड़ दीजिए खामोश अकेला ।

खामोशी भी एक उलझन सी होती है ,
जो चुप रहती है मगर सोने नही देती है ।
महसूस कर ले कोई मेरे हृदय की वेदना को,
बड़ी खामोशी से मेरा जीवन उसको समर्पित है ।