कविता : प्रेम

प्रेम उम्र नहीं
एहसास देखता है।
प्रेम लगाव नहीं
तड़प देखता है।
प्रेम मुस्कुराहट नहीं
आंखों में बहते
अश़्क देखता है।
प्रेम हमउम्र नहीं
हमराही देखता है।
प्रेम बहस नहीं
झुकाव देखता है।
प्रेम बहता हुआ पानी नहीं
जलती हुई आग देखता है।
प्रेम ह्रदय का रूप नहीं
चेहरे का महकता
स्वरूप देखता है।

राजीव डोगरा
(भाषा अध्यापक)
गवर्नमेंट हाई स्कूल ठाकुरद्वारा
पता-गांव जनयानकड़
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कांगड़ा हिमाचल प्रदेश
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