राजा बनने की कला

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

उजाले की बात मत कर
तू सीख ले मरघट की बात करना;
क़त्लेआम की बात करना;
सामूहिक दुराचार की बात करना;
गड़े मुरदों को उखाड़कर राजदरबार मे
कलात्मक ढंग से प्रस्तुत करना;
भौं-भौं करनेवाले कुत्तों की देह पर
शेर की खाल चस्पा करना।
तू उन वफ़ादार सेनिपतियों मे शुमार हो जायेगा,
जो एकल राजा के दरबार मे जाकर
अन्धभक्त-मानिन्द सिज्दा करते आ रहे हैं
और टुकड़ों पर पलकर चमकती रौशनी के साथ
व्यभिचार और बलात्कार का उपक्रम भी।
तू पूर्वाभ्यास कर ले और सीख ले,
थूकना और उसी थूक को वज्र निर्लज्ज की भाँति चाटना।
मत भूल!
तुझमे सम्भावनाएँ भरी हैं,
शब्दातीत निर्मम, निकृष्ट, निष्ठुर, निरंकुश राजा बनने की।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १८ मई, २०२२ ईसवी।)