कविता : तेरे बिन

फिर एक पल जिया जाए तेरे बिन।
फिर घूमा-टहला जाए तेरे बिन।
फिर हंसकर बोला जाए तेरे बिन।
फिर दिल को खोला जाए तेरे बिन॥

फिर से यारी की जाए तेरे बिन।
फिर से दिलदारी की जाए तेरे बिन।
फिर चाय उधारी की जाए तेरे बिन।
फिर दुनियादारी की जाए तेरे बिन॥

फिर रोक के साइकिल चॉकलेट खाए तेरे बिन।
फिर बिना काम तेरे गेट पर आए तेरे बिन।
फिर स्कूल लेट से जाए तेरे बिन।
फिर टिफिन अकेले बैठ के खाए तेरे बिन॥

फिर मेरे लफ्जों को रोका जाए तेरे बिन।
तेरी यादों की तस्वीरों को ठोका जाए तेरे बिन।
फिर खुद को देंगे जीने का मौका तेरे बिन।
फिर पार लगाए अपनी नौका तेरे बिन॥

✍?शिवाजी पटेल✍?