तेरी इन झील सी आंखों में जो ये नूर दिखता है,
तेरे चेहरे की मदहोशी में ये मन चूर दिखता है ।
कहीं जुल्फों का गिर जाना, कहीं अधरों का खिल जाना ।
कहीं मासूम चेहरे पर, जरा मुस्कान आ जाना ।
तुम्हें यूं देखकर चंदा भी अब मजबूर दिखता है ।
तेरी इन झील सी आंखों में जो ये नूर दिखता है,
तेरे चेहरे की मदहोशी में ये मन चूर दिखता है ।
बन्द कर लूं जो ये आंखें, तेरी तस्वीर आती है।
तेरा झुमका तेरा काजल तेरी बिन्दिया सताती है ।
है तेरे दिल में क्या आंखों में सब दस्तूर दिखता है ।
तेरी इन झील सी आंखों में जो ये नूर दिखता है,
तेरे चेहरे की मदहोशी में ये मन चूर दिखता है ।
जिन हाथों में रची मेंहदी, उन्हें चेहरे पे मत लाओ ।
हटा दो शर्म का परदा, जरा मुखड़ा तो दिखलाओ ।
छिपाओं चाहें जितना तुम प्यार भरपूर दिखता है ।
तेरी इन झील सी आंखों में जो ये नूर दिखता है,
तेरे चेहरे की मदहोशी में ये मन चूर दिखता है ।