उल्लू सीधा हुआ हमारा, अपने घर सब जाओ

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय-


नाचो गाओ ढोल बजाओ, खाओ और खिलाओ।
लोकतन्त्र की क़ब्र खुद रही, सब मिल जश्न मनाओ।
सब मिल जश्न मनाओ प्यारे! डूब सुरा में जाओ,
नंगों की पा नंगी संगत, सब नंगे बन जाओ।
संसद् नंगा नाच हो रहा, बस दर्शक बन जाओ,
भाँड़ में जाये देश तुम्हारा, मनोरंजन सब पाओ।
कथनी-करनी घोल के पीकर, दिव्य पुरुष कहलाओ,
सीना छप्पन इंच दिखाकर, जन-जन को भरमाओ।
खुराफ़ात में अव्वल बनकर, लाज-शर्म पी जाओ,
देश को भूखा-नंगा करके, रामराज अब लाओ।
खेतिहर पक्का झूठ नीयत का, बीजगणित अब लगाओ,
शर्मिन्दा अब अंकगणित है, लानत सब भेजवाओ।
जाति को तोड़ो, धर्म को तोड़ो, भाग-गुणा अब लगाओ,
उल्लू सीधा हुआ हमारा, अपने घर सब जाओ।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद ; ७ अप्रैल, २०१८ ई०)