कविता : हृदय की वेदना

आदित्य त्रिपाठी (सहा० अध्यापक, बे०शि०प०/निदेशक, आईवी २४ न्यूज़)

आदित्य त्रिपाठी, सहायक अध्यापक बे०शि०प० 


भला कब कौन समझा है! भला कब कौन समझेगा!

हृदय की वेदना तेरे सिवा अब कौन समझेगा?

मैं तुझको आजमा लेता मगर क्या आजमाऊँगा,

तुम्हारे प्यार से दीपित दिये दिल में जलाऊँगा।

अगर तुमको यकीं ना हो मुझे तुम आजमा लेना,

बनाकर प्यार की भट्ठी मुझे उसमें तपा देना।

नहीं मुझको तनिक भी डर मेरे दिलबर जमाने का,

है मेरा दिल खरा सोना तपेगा और निखरेगा।

भला कब कौन…………………………………….

मैं तेरे प्यार में पागल तू मेरे इश्क में घायल,

इधर साँसों की सरगम है उधर बजती तेरी पायल।

तड़पता हूँ तरसता हूँ न मरता हूँ न जीता हूँ,

तेरी चाहत में जो निकले उन्हीं अश्कों को पीता हूँ।

कि कहते हैं नशा ये प्यार का होता बड़ा जालिम,

जो डूबा शौक से इसमे वही फिर पार उतरेगा।

भला कब कौन…………………………………।।