आशीर्वाद की अभिलाषा

सुधीर अवस्थी ‘परदेशी’ (लेखक/कवि, पत्रकार {हिन्दुस्तान} एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ )-


   सुधीर अवस्थी ‘परदेशी’

गुरु पितु मातु प्रणाम तुम्हें,

तुम बिन कौन हमारा है |

बतियाने वाले बहुत दोस्त,

संकट में कौन सहारा है ||

हे स्वर्ग के वासी गुरुपितु हो,

माता की पूरी हो छाया |

आशीर्वाद की अभिलाषा

दुख कौन कहाँ से आ सकता,

मेरी समझ ना आया ||

परदेशी को परवाह नहीं,

कुछ संग लेजाने लाने की |

आशीर्वाद की अभिलाषा,

सब दिल जगह बनाने की ||

कहाँ हैं आप ?