राज चौहान (नव कवि)-
ये नेह-नेह के धागे,
यारा तुमसे न टूटेंगे।
हम साथ रहें, ना रहें,
न रूठे हैं न रूठेंगे।।
हर वक्त रहा है साथ तेरा,
हर वक्त पे तुझको पाया है।
कैसे कह दूं तू साथ नहीं,
हर वक्त तो साथ निभाया है।। (1)
ये नेह नेह के धागे,
यारा तुमसे न टूटेंगे।
हर दुःख में मेरा साथ दिया,
हाथों में अपना हाथ दिया।
हर वक्त साथ तुम खड़े रहे,
हर पल एक अहसास दिया।। (2)
ये नेह नेह के धागे,
यारा तुमसे न टूटेंगे।
एक लम्हा गुज़रा लम्हे में,
एक सपना गुज़रा सपने में।
हर सपने में तुम साथ जिये,
फिर क्यों कहते सब सपने में।। (3)
ये नेह-नेह के धागे,
यारा तुमसे न टूटेंगे।
तुम साथ मेरे थे साथ ही हो,
तुम हर पल मेरे पास ही हो।
जीवन के हर लम्हो में,
अदृश्य से मेरे साथ ही हो।। (4)
ये नेह-नेह के धागे,
यारा तुमसे न टूटेंगे।
हम साथ रहें, ना रहें,
न रूठे हैं न रूठेंगे।।