
राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’–
इस भौतिक संसार में सब कुछ है बेकार।
जिसने जगदम्बा को याद किया उसका बेड़ा पार।
ये सारा ब्रह्माण्ड ही माँ दुर्गा का विस्तार।
माँ को जिसका साथ मिला उसका हुआ उद्धार।
बुराई के विष को माँ शक्ति खुद ही पी जाती हैं।
अपने भक्तों के खातिर अच्छाई वो बढ़ाती हैं।
माँ अपनी सारी संतानों को आशीष देती हैं।
जिसने माँ को मान लिया उसके दुःख कर लेती हैं।
माँ से बढ़कर संसार मे दूसरा कोई हितैषी नहीं।
परमशक्ति की कृपा से बढ़कर यहाँ और कुछ भी नहीं।