मिलावटी व घटिया आइसक्रीम में मिलाया जा रहा ‘मीठा जहर’, मिलावटखोरों के आगे बेबस खाद्य विभाग

हरदोई– गर्मियों के दिनों में जहां एक ओर शीतल पेय पदार्थों, आइसक्रीम, लस्सी आदि की मांग काफी बढ़ जाती है वहीं खाद्य पदार्थों में मिलावट का धंधा करने वाले लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने में पीछे नहीं हैं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन व संबंधित अधिकारियों की मेहरबानी पर जिले में कई जगहों पर सिंथेटिक दूध से बनने वाले उत्पादों, नकली पनीर, मिलावटी व घटिया आइसक्रीम का कारोबार धड़ल्ले से जारी हो रहा है। 

मिलावटखोरों द्वारा आइसक्रीम में खतरनाक रसायनों को मिलाकर लोगों और बच्चों को धीमा जहर खिलाया जा रहा है। बिना पंजीकरण/लाइसेंस के अनाधिकृत रूप से जिले में विभिन्न जगहों पर आइसक्रीम की कई इकाईयां चल रही हैं। जिम्मेदार अफसर इन आइसक्रीम फैक्ट्रियों में बने उत्पादों की जांच करने का बस कोरम ही पूरा करते हैं जिससे इस काले कारोबार पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। 

आइसक्रीम/दूध व्यवसायी भी ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने में पीछे नहीं रहते हैं। 

जनपद के विकासखण्ड/नगर निकाय कछौना के कई क्षेत्रों में भी सिंथेटिक दूध व नकली पनीर बनाने(सप्लाई), सरसों आदि का नकली खाद्य तेल बनने के साथ मिलावटी-घटिया व कैमिकलयुक्त आइसक्रीम बनाने का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। कछौना के गौसगंज कस्बे में बालाजी आइसक्रीम, उदय आइसक्रीम, अनुज स्वीट बटर, सूरज आइसक्रीम आदि नाम से संचालित आइसक्रीम फैक्ट्रियों में मानकों को ताख पर रखकर बनने वाली आइसक्रीम में खतरनाक रंग, दूषित-गंदा पानी, स्वाद से संबंधित खतरनाक रसायनिक व दूषित पदार्थों को मिलाकर आइसक्रीम/कुल्फी/फ्लेवर आइसक्रीम आदि बनाई जा रही हैं। दूध व दूध से बने उत्पादों/पनीर आदि की बढ़ती मांग को लेकर भी क्षेत्र में प्रतिदिन सैकड़ों लीटर सिंथेटिक दूध व कई क्विंटल नकली पनीर खपाया जा रहा है। 

आइसक्रीम व्यवसाय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में ठेलों-ट्रालियों में बिकने वाली व शादी-बारातों में सप्लाई होने वाली ठंडी और रंग-बिरंगी, फ्लेवर्ड आइसक्रीम का स्तर काफी मिलावटी होता है। इसमें केमिकलयुक्त व स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रंग, एक्सपायरी डेट वाले फ्लेवर तथा सैकरीन मिलाने के साथ-साथ आइसक्रीम में सफेद चमक लाने के लिए वाशिंग पाउडर तथा यूरिया, डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, ग्लूकोज शैंपू, डालडा ऑयल, चाक व चूना आदि से तैयार होने वाले सिंथेटिक दूध का भी धड़ल्ले से प्रयोग किया जा रहा है जिससे ना केवल आपकी सेहत पर बहुत बुरा असर पड़ता है बल्कि पेट, लीवर की गंभीर बीमारियां होने के साथ ही शरीर की रोगों से लड़ने की (रोग प्रतिरोधक) क्षमता भी प्रभावित होती है। घटिया व केमिकलयुक्त आइसक्रीम खाने का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ता है और वो कई गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं। घटिया, विषैले तत्वों व मिलावटी सामग्री से बनी आइसक्रीम बच्चों के लिए ख़तरनाक होने के साथ ही फूड प्वॉइजनिंग का शिकार होने व जानलेवा तक साबित हो सकती है।

वहीं इस संबंध में जब जिले के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त सतीश कुमार से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि खाद्य विभाग द्वारा समय-समय पर अभियान चलाकर व सैंपल लेकर अधोमानक पाए जाने पर दोषियों के विरुद्ध अभियोग दर्ज कर वैधानिक कार्रवाई की जाती है। सिंथेटिक दूध, घटिया व मिलावटी आइसक्रीम, नकली पनीर आदि के संबंध में शिकायत मिलने पर संबंधित के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

आमजनमानस के लिए भी उन्होंने अपील करते हुए कहा कि उपभोक्ता भी खाद्य पदार्थों के प्रयोग में सावधानी बरतें। कहीं किसी प्रकार की मिलावटी या घटिया खाद्य सामग्री की बिक्री या सप्लाई के मामले में खाद्य विभाग को तुरंत सूचित करें। कोई भी उपभोक्ता अब किसी भी खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता आदि को लेकर स्वयं भी विभाग में निर्दिष्ट शुल्क के साथ जांच के लिए दे सकता है।