“जमूरा-जमूरा, जमूरा-जमूरा, जमूरा-जमूरा”

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

जमूरे!
बोल ओस्ताद।
अबे! कहाँ मर गया तू?
यहीं तो हूँ ओस्ताद! तेरे पिच्छू।
कोरोना से अब तक लाखों लोग मर चुके हैं।
फिर ओस्ताद!
अबे हरामख़ोर!
तुझे क्यों रखा है?
'मन की बात' सुना
और यहाँ बटोरी गयी महफिल को भरमा।
लो ओस्ताद;अभी।
जमूरा-- "साथियों! हमारे देस का नाँव 'न्यू इण्डिया है'। अभी उसकी नीवँ खोदी जा रही है। आप जो देख रहे हो, कोरोना से मरते लोगों को, वे 'भारत' के लोग हैं, 'न्यू इण्डिया' के नहीं। चिन्ता मत करो, जैसे ही ये सब मर जायेंगे, हमारे 'न्यू इण्डिया' की सानदार बिलडिंग चालू हो जायेगी।"
ओस्ताद-- बच्चा लोग, ठोको ताली-- तालियाँ!
(ताली के साथ "जमूरा-जमूरा" की आवाज़ उठने लगती है और जमूरा 'बकलोल लोदी' की तरह से भीड़ के 'गुप्तांग से शेषांग तक' को चारों ओर से ऐसे निहारता रहता है, मानो "मुक़द्दर का सिकन्दर" फ़िल्म के दृश्यों पर दृष्टि-अनुलेपन कर रहा हो।)
ओस्ताद-- जमूरे!
जमूरा-- चालू रह।
जमूरा-- हाँ ओस्ताद।
जमूरा-- "हाँ तो साथियों, मैं कह रहा था, मरने दो भारतीयों को। हम-आप मिलकर 'न्यू इण्डिया' बनायेंगे, फिर कोरोना-खोरोना अगर एक भी 'न्यू इण्डियन' की ओर देखेगा और हमारे अपने लोग को मारेगा तो जानते हो हम क्या करेंगे… अरे पूछो-- हम क्या करेगा? जानते हो, फिर हम कोरोना के गढ़ में घुसकर 'एक कोरोना के बदले दस कोरोना का सिर काटकर लायेगा'। बोलो भगतों-- लाना चाहिए कि नहीं? लाना चाहिए कि नहीं?
(सामने देखनेवाले बोल पड़ते हैं-- 'जमूरा-जमूरा, जमूरा-जमूरा'।)
जमूरा-- "हाँ तो भाइयों-बहनों, आप चिन्ता मत करो। हम इधर चुटकी बजायेगा, उधर कोरोना फुर्र होता दिखेगा; क्योंकि जमूरा है तो सब मुमकिन है। हमारे न्यू इण्डिया के भाई-बहनों, मालूम है, बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल तथा पुड्डुचेरि में हमारे सभी ग्रुपलीडर धमाचौकड़ी मचाकर अब 'अण्डरग्राउण्ड' हो चुके हैं; क्योंकि हमारे सारे कामनामे 'अण्डरग्राउण्डेड' होते आ रहे हैं। अब, जब कोरोना भारतीयों को खाये जा रहा है तो इन सभी राज्यों से चड्ढी उतार नंगा नाच, यानी 'गोंड़उवा नाच' (एक प्रकार का बीभत्स और मर्यादाविहीन उत्तरप्रदेश का लोकनृत्य) करके लौटे हमारे सभी ग्रुप लीडर इसलिए 'कोरोना पॉज़िटिव' होकर 'आइसोलेट' हो चुके हैं कि उन्हें मीडियावालों, ख़ासकर 'हविशकुमारवा ऐण्ड कम्पनी' का उत्तर देते समय उनकी चड्ढिवा में भूकम्प न घुस जाये। और जानते हो भगतों! हमने अपने उत्तरपरदेश के एक ग्रुपलीडर का नाम 'प्ले ब्वॉय-पोस्टर ब्वॉय' रख दिया है। उसका काम ही है, 'चोला और बोला' बदल-बदलकर 'गोला' बरसाना; है तो अनपढ़ और जाहिल; मगर धरम-करम का ऐसा अफीम चटाता है कि लोग बेसुध बने रहते हैं; उन्हें लतियाव-जूतियाव, कोई फरक नहीं। तो बोलो भगतों, लतियाया जाना चाहिए न? जूतियाया जाना चाहिए न?"
(भीड़ एक साथ बोल पड़ती है, "जमूरे-जमूरे, जमूरे-जमूरे, जमूरे-जमूरे।"
ओस्ताद-- जमूरे!
जमूरा-- बोल ओस्ताद।
ओस्ताद-- अब हमारा टाइम खतम।
जमूरा-- हाँ ओस्ताद।
(सर्वाधिकार सुरक्षित-- आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १५ अप्रैल, २०२१ ईसवी।)