विजय कुमार-
एक बार फिर गोरखपुर के बी. आर. डी. मेडिकल कालेज में बच्चों की हुई मौतों पर दुःख से ज्यादा राजनीति करने वाले योगी सरकार के विरोधियों का देश के सामने मुँह काला हो गया।
जैसा कि पूरा देश बच्चों की मौत पर दुःखी है लेकिन जिसप्रकार मीडिया ने बिना पड़ताल आक्सीजन सप्लाई बंद हो जाने को इसका कारण बताया था तो हम सभी का सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उस पर आक्रोशित होना बिल्कुल स्वाभाविक था।
जाँच में यह बात निकली कि आक्सीजन की आपूर्ति निश्चित तौर पर कुछ घंटों के लिए बंद हुई थी लेकिन हाँथ से पंपिंग द्वारा उस दौरान बच्चों को आक्सीजन आपूर्ति दी गई और आक्सीजन आपूर्ति जिस समय तक बाधित रही उस दौरान एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई इसलिए आक्सीजन न मिल पाने की वजह से मौतो का होना बिल्कुल गलत तथ्य था।
दूसरी बात डीलर को बकाया का भुगतान नही हुआ था इस बात की भी पुष्टि हुई कि डीलर ने मेडिकल अस्पताल के प्रधानाचार्य को इस बावत पत्र लिखा तो अगले दिन 2 अगस्त को प्रधानाचार्य ने महआनिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को इसकी जानकारी दी थी जिस पर कार्यवाही करते हुए शासन ने 5 अगस्त को इस मद का धन भेजा जो प्रधानाचार्य के अनुसार 7 अगस्त को उनके खाते में आया लेकिन डीलर के अनुसार उन्हे भुगतान 11 अगस्त को मिला। इस संबंध में देरी के लिए मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य को निलंबित कर दिया गया।
तीसरी बात अगस्त के माह में सन् 2014 से बी.आर.डी. मेडिकल कालेज में हुई बच्चों की मौतों का आकड़ा निकलवाया गया तो यह बात सामने आई कि लगभग हर वर्ष 20-25 बच्चों की औसतन प्रतिदिन मौतें अगस्त के महीने में हुईं। 2014 से आगे के वर्षों में हुई मौतों का आकड़ा भी निकलवाया गया तो यह भी 22-23 मौतें प्रतिदिन का था।इसका कारण तलाशा गया तो यह आया कि पी.एच.सी. और सी.एच. सी. स्तर पर सुविधाएँ व डाक्टरों की उचित उपलब्लता न होने के कारण जो मरीज इलाज के लिए मेडिकल कालेजों में पहुँचते हैं वह अति गंभीर अवस्था में पहुँच चुके होते हैं इसलिए मौतों के आँकड़े काफी भयावह हैं।सरकार ने माना कि पी.एच.सी. और सी.एच.सी.स्तर पर डाक्टरों की उपलब्धता एवं सुविधाओं की व्यवस्था में कमी है जिसे ठीक करने हेतु कार्य किए जा रहे हैं और इसके लिए सरकार व स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है।इसके परिणाम भी सामने आएँगे।
अब सवाल यह उठता है कि महज चंद महीनों पहले बनी नई भाजपा की योगी सरकार के बाद तो सारी व्यवस्थाएँ बिगड़ नहीं गईं बल्कि यह वर्षों का नासूर है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में माँग एवं आवश्यकता के अनुसार संसाधनों की व्यवस्था नहीं की गई न ही पूरे प्रदेश में वर्षो से अपनी ड्यूटी के प्रति लापरवाह चिकित्सकों पर नकेल लगाई गई फिर मृत हुए बच्चों के परिवारों के प्रति शोक संवेदना और इस असहनीय दुःख में उनके परिवार के साथ सहानुभूति एवं दुःख प्रकट करने के बजाए चंद महीने पहले बनी नई योगी सरकार के ऊपर पूरे नासूर का दोष मढ़कर विपक्षियों एवं विरोधियों द्वारा घिनौनी राजनीति करना और मीडिया द्वारा बिना पूरी जानकारी बच्चों की मौतों के लिए आक्सीजन की कमी का हवाला देकर मात्र सरकार को घेरकर उसे बदनाम करने का षड्यंत्र रचने वालों को शर्म आनी चाहिए।