अज्ञात-गुमशुदा तलाश ग्रुप ने बीते छह वर्ष में चार सौ पचास शवों की कराई पहचान

बुलन्दियों पर यकीनन यकीन रखता हूँ, मगर मैं पांव के नीचे जमीन रखता हूं

प्रयागराज। जिले में मिलने वाले लावारिस शवों की पहचान कराने की मुहीम शुरू करने वाले अज्ञात गुमशुदा तलाश ग्रुप के एडमिन के प्रयास से वर्ष 2015 से वर्ष 2020 तक लगभग चार सौ पचास शवों की पहचान कराने में कामयाबी हासिल किया। इतना ही नहीं कोराना महामारी के लाकडाउन में लगातार सक्रियता जारी रही। लाकडाउन के दौरान 6 लावारिस शवों को पहचान कराने में सहयोग किया। एसआरएन में भर्ती कलकत्ता के रहने वाले एक व्यक्ति के परिजनों तक खबर पहुंचायी।

शहर के समाजसेवी मोहम्मद आरिफ ने बताया कि सोशल मीडिया का सहारा लेते हुए अज्ञात गुमशुदा तलाश नाम का ग्रुप बनाया और इस पुण्य कार्य में जब से मै लगा हूं लगातार लोगों का सहयोग मिल रहा है। हमारे पास जो भी डाटा उपलब्ध है। उसके मुताबिक वर्ष 2015 में 350 लावारिस शव पाए गए। जिसमें से अथक प्रयास के बाद 96 लावारिसों की पहचान हो गई। इसी तरह वर्ष 2016 में कुल 375 शव लावारिस पाए गए। जिसमे से 103 लोगों की पहचान कराने में कामयाब हुए। वर्ष 2017 में 365 शव बरामद किए गए, जिसमें से 78 लोगों की पहचान हुई है। वर्ष 2018 में कुल 370 लावारिस शव पाए गए, जिसमें 73 लोगों की पहचान हुई और उनके परिजन प्रयागराज चीरघर पहुंचे और शिनाख्त करने के बाद, अन्तिम संस्कार के लिए ले गए। वर्ष 2019 में कुल 357 लावारिस शव पाए गए। जिसमें से 58 लोगों की पहचान कराने में पुलिस के सहयोग से कामयाबी मिली। वर्ष 2020 में कुल 245 लावारिस शव पाए गए। जिसमें से 45 शवों को पहचान कराने में सोशल मीडिया एवं पुलिस कर्मचारियों के सहयोग से कामयाबी हासिल हुई।

कोरोना महामारी के लाकडाउन में सात परिवारों तक पहुंचायी सूचना लाकडाउन के दौरान 30 मार्च को मृत लावारिस 75 वर्षीय वृद्ध की पहचान जौनपुर के निवासी जोखन राम बिन्द के रूप में करायी। इसी तरह स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में लावारिस हालत में मृत मो.जोखू निवासी परोमा चैबेपुर थाना बीकापुर फैजाबाद के रूप में करायी। कौशाम्बी जिले के पुरामुफ्ती थाना क्षेत्र के गौशपुर निवासी राम निवाज की पहचान, बिहार के गोपालगंज जनपद में बरौली थाना क्षेत्र के विशुनपुर गांव निवासी बलीन्द्र महतों की पहचान, प्रयागराज मुट्ठीगंज के बहादुरगंज के रमजान और नैनी कोतवाली के महेवापट्टी निवासी मोहम्मद फुरखान की पहचान कराया। इसी कड़ी में कलकत्ता के इकबाल रोड निवासी मो. सिराज को लावारिश हालत में उपचार के लिए स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था। जबतक उसकी होश नहीं आया था, उसका पता लगाने के लिए प्रयास करता रहा और होश आने पर जब उसने अपना नाम पता बताया तो कलकत्ता पुलिस से सम्पर्क करके उसके परिजनों तक खबर भेजा। खबर मिलते ही उसके परिवार के लोग यहां पहुंचे और यहां से ले गए। इस मेरे कार्य में जनपद में तैनात पुलिस कर्मचारियों एवं दूसरे राज्यों और जनपद के पुलिस कर्मचारियों ने भी अच्छा योगदान दिया और इस पुनीत कार्य की सराहना भी कर रहें है।

जब इस सम्बन्ध में समाज सेवी मो. आरिफ से पूछां गया कि इस काम की सरहना से आपको कैसा महसूस होता है तो उन्होंने बताया कि ‘ बुलंन्दियों पर यकीनन यकीन रखता हूं , मगर मैं पांव के नीचे जमीन रखता हूं । इस कार्य में उनके ग्रुप से कई समाजसेवी एवं पुलिस अधिकारी जुड़ते जा रहे हैं। लगातार लोगों से सहयोग भी मिल रहा है।