आज यहां विकास भवन के स्वर्ण जयन्ती सभागार में आयोजित ऊर्जा संरक्षण में शिक्षण संस्थाओं का योगदान विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोलते हुये श्रीदेबदरबार आश्रम इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य रमाशंकर पाठक ने बिजली बचाने के लिये जागरूक होने की आवश्यकता पर बल देते हुये कहा कि हम अपनी जीवन शैली में यदि थोड़ा-थोड़ा परिवर्तन कर लें और भौतिक संसाधनों पर अपनी निर्भरता कम कर दें तो उसी दिन से विद्युत संरक्षण प्रारम्भ हो जायेगा। उन्होने ‘हम सुधरेगें जग सुधरेगा‘ का संदेश देते हुये बताया कि जल की औषधि अग्नि है तथा पानी और ऊर्जा का घनिष्ठ संबन्ध है। इसलिये दोनो को बचाना होगा। इसी के साथ उन्होने यह भी कहा कि जो भी नष्ट हो रहा है उसका निरन्तर उत्पादन एक आवश्यक प्रक्रिया है जिसका निरन्तर चलते रहना जरूरी है।
जनता इण्टर कालेज के प्रधानाचार्य डा0राजेश तिवारी ने अपनी बात रखते हुये कहा कि शासन द्वारा भविष्य में शतप्रतिशत विद्युतीकरण की बात कही जा रही है। साथ ही अभी नेडा ने बताया कि 2050 तक कोयला खत्म हो जायेगा। ऐसी स्थिति में भविष्य क्या होगा यह भी शोचनीय है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण जागरूकता से ही होगा। प्रत्येक नागरिक को इसे अपना नैतिक दायित्व बनाना होगा।
पी0बी0आर इण्टर कालेज के प्रवक्ता राजीव मिश्र ने कहा कि बगैर ऊर्जा सभी कुछ नश्वर है। इसलिये हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों को समृद्ध बनाना है तो अपने पारम्परिक स्त्रोतों को, अपनी शक्तियों को संरक्षित करना होगा। नियम तो बनते हैं पर नियमों का कार्यान्वयन मन और प्राण से करना होगा। उन्होंने कहा कि ऊर्जा संरक्षण एक गम्भीर मसला है। इसे मन से करना होगा क्योंकि यदि मन से काम नही होगा तो यह भी मात्र एक रस्म आदयगी होकर रह जायेगा।