सुधीर अवस्थी ‘परदेशी’ (पत्रकार-लेखक)
हे गजानन आपको,
विनती मेरी स्वीकार हो ।
संग में हो कुबेर जी,
लक्ष्मी कृपा भरमार हो ।
गुरूजी सत्मार्ग प्रणेता,
मातु-पितु वरद हस्त हो ।
इतना सब मिल जाये तो
फिर अपना जीवन मस्त हो ।
भोलेनाथ संग हो पार्वती,
हनुमान संग श्रीराम हों ।
हर समय हो साथ उनका,
पूरे मन के काम हों ।
परदेशी हो परिवार अपना,
खुल के दिल की बात हो ।
अपनी-अपनी सब कहें,
अपनों से मुलाक़ात हो ॥