सूती कपड़े से अधिक हाइजीनिक और कुछ नहीं

कोमल गुप्ता जी- 


रानियां जब रजस्वला होती थीं तो बिना शृंगार के आरामदायक वस्त्रों में रहतीं। राजकार्यों से दूर रहतीं और अधिक से अधिक आराम करतीं। इससे लगभग सभी को पता होता था कि वे रजस्वला हैं।
संसाधन कुछ कम हो सकते हैं, पर यही स्तिथि आम महिलाओं की भी थी। उन्हें पूजा-पाठ, रसोई आदि के कामों से छुट्टी देकर आराम दिया जाता। स्पष्ट है कि घर में सबको पता होता था कि वे रजस्वला हैं।
दक्षिण में लड़की जब पहली बार रजस्वला होती है तो बहुत भारी उत्सव मनाया जाता है। विवाह समारोह की ही भांति सबको भोज दिया जाता है। लड़की को रथ या पालकी में बैठाकर गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकालते हैं। इस प्रकार माता- पिता पूरी दुनिया में घोषणा करते हैं कि उनकी बेटी अब माँ बनने में सक्षम है।
असम के कामाख्या मंदिर के कपाट तीन दिन बंद रहते हैं। मान्यता है कि इन तीन दिन देवी रजस्वला होती हैं।
बरसात के दिनों में सुरक्षा कारणों से गंगा में स्नान वर्जित होता है, पर कहा यही जाता है कि गंगा रजस्वला हैं।
साबित है कि रजस्वला नारी भारत में अस्वीकार्य नहीं। उसका अधिक सम्मान है। जहाँ देवी तक का रजस्वला रूप स्वीकार्य हैं वहां नारी को इस रूप में घृणा से कैसे देखा जा सकता है?
रजस्वला को घृणा से देखना भी मुस्लिमों का ही असर है, जिसे अब हिन्दू कुरीति कहकर प्रचारित किया जाता है।
अब दूसरी बात करते हैं।
मेरा बेटा जब छोटा था तो मैं उसे सर्दी के कुछ दिन और रात को सोते हुए डायपर पहनाती थी। डायपर के नुक्सान जानती थी तो बेचैनी बनी रहती। कभी सरसों के तेल से मालिश करती तो कभी धूप में बिना कपड़ों के लिटाती। नींद गहरी होते ही डायपर उतार देती। उसके लिए सामान खरीदने को वेबसाइट्स देखती तो उनके प्रोडक़्ट्स में सूती नैपी भी होती। सब माँओं को पता है कि बच्चे के लिए सूती नैपी ही अच्छी है।
सैनिटरी पैड का मैटीरियल बच्चों के डायपर से ज़्यादा अच्छा नहीं होता। ऐसे में पैड को दवा की तरह प्रचारित करना वैसा ही है जैसे किसी समय कोल्डड्रिंक को एनर्जी ड्रिंक प्रचारित किया गया था।
पैड सुविधाजनक होने के कारण मज़बूरी हो सकती है, पर यह कहना कि पैड कपडे से अधिक स्वास्थ्यवर्धक है, गलत है। सूती कपड़े से अधिक हाइजीनिक और कुछ नहीं। आप उसे एक बार या धोकर सुखाकर कई बार प्रयोग कर सकते हैं।
पैड न इस्तेमाल करने वाली महिलाओं को दीन हीन साबित करने का हास्यास्पद प्रयास छोड़ें।