‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के कुलपति डॉ० राकेश भटनागर! हमारी मातृभाषा ‘हिन्दी’ के साथ ‘सौतेला व्यवहार’ महँगा पड़ेगा

‘चेतावनी के स्वर’

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

आप यह भूल रहे हैं कि ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बहुसंख्यक वे विद्यार्थी हैं, जो उत्तर-भारत के अंचलों से आते हैं और उनमें से अधिकतर ‘हिन्दी-माध्यम’ में शिक्षित-प्रशिक्षित हैं। इसके बाद भी आप जिस तरह से अपनी घटिया मानसिकतावाली अँगरेज़ियत थोपते आ रहे हैं, वह आपकी ताबूत में कहीं ‘आख़िरी’ कील साबित हो जाये। अध्यापकों की नियुक्ति के लिए आपकी जो चयन-पद्धति है, उससे ‘ग़ुलामी’ की बू आती है। जिस महामना मदनमोहन मालवीय ने हिन्दी की श्रीवृद्धि के लिए यथाशक्य प्रयास करनेवाली शीर्षस्थ संस्था ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’, प्रयाग से सक्रियरूपेण सम्बद्ध होकर उसके प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय योगदान किया था, उनके तन-मन-धन के योग से निर्मित विश्वविद्यालय में आपकी हिन्दी के प्रति गर्हित मनोवृत्ति के विरुद्ध अब समूचे देश के विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सड़कों पर आयेंगे। महामना जी ‘हिन्दीभाषा’ के प्रचार-प्रसार के लिए ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’, प्रयाग की ओर से आयोजित प्रथम राष्ट्रीय अधिवेशन में ‘सभापति’ थे। ऐसे में, आपका ‘भाषिक’ दुर्व्यवहार का अपराध द्विगुणित हो जाता है।

‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के हिन्दी-अनुरागी विद्यार्थियों का मैं आह्वान करता हूँ कि ‘हिन्दी-विद्रोही’ और हमारी ‘मातृभाषा-विरोधी’ कुलपति डॉ० राकेश भटनागर के विरुद्ध विश्वविद्यालय और संघटक महाविद्यालय के छात्रनेताओं को विश्वास में लेकर एक विश्वसनीय और ठोस रणनीति बनाकर व्यापक स्तर पर आन्दोलन करें। ‘मानव संसाधन विकासमन्त्री डॉ० रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ‘हिन्दी-समर्थक’ हैं और एक लब्ध-प्रतिष्ठ हिन्दीसाहित्य-शिल्पी और विचारक भी। आप सभी डॉ० पोखरियाल जी से सम्पर्क कर उक्त कुलपति के आपत्तिजनक और अवैधानिक कृत्यों की सप्रमाण जानकारी दें। वे निश्चित रूप से काररवाई करायेंगे।

आन्दोलनकारियों को मेरी जब भी आवश्यकता पड़े, मुझसे ९९१९०२३८७० पर सम्पर्क कर तिथि और समय निर्धारित कर लेंगे, मैं उपलब्ध हो जाऊँगा। २८, २९, ३०, ३१ जनवरी की तिथियों में मैं अन्यत्र रहूँगा।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १९ जनवरी, २०२० ईसवी)