‘सीसैट’ के सामान्य हिन्दी के प्रश्नो मे ग़लतियोँ के लिए कौन है उत्तरदायी?

(भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने विगत दिनो उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित पी० सी० एस० (प्रा०) परीक्षा के अन्तर्गत सीसैट के सामान्य हिन्दी-भाग मे बड़ी संख्या मे प्रश्न और उत्तर-विकल्प को कारणसहित ग़लत ठहराया है तथा आयोग-द्वारा सार्वजनिक किये गये छ: उत्तरोँ को ग़लत साबित किया है।)

२२ दिसम्बर को करायी गयी उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग की पी० सी० एस० परीक्षा के अन्तर्गत सीसैट-प्रश्नपत्र के सामान्य हिन्दीवाले भाग मे २५ प्रश्नो मे से बड़ी संख्या मे अशुद्ध प्रश्न हैँ और उनके उत्तर-विकल्प भी। साफ़-साफ़ दिख रहा है उन २५ प्रश्नो मे से छ: प्रश्न ऐसे हैँ, जिनके प्रश्न ग़लत हैँ और उत्तर-विकल्प भी।
यह सीधा आरोप है, भाषाविज्ञानी एवं सामान्य हिन्दी-विशेषज्ञ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय का, जिन्होँने विगत २५ दिसम्बर को आयोग की ओर से सार्वजनिक किये गये उत्तरोँ पर भी घोर आपत्ति प्रकट की है। आचार्य ने ‘कोड– डीएसटीएफ-२-२४; प्रश्नपुस्तिका बार कोड संख्या 3052009’ वाले प्रश्नपत्र मे दिये गये प्रश्न छ: के प्रश्न और उत्तर-विकल्प को ग़लत बताया है। उनका कहना है कि व्याकरणिक आधार पर उत्तर-विकल्प मे ‘गुलाब’ शब्द का अर्थ ‘गुलाब का फूल’ बताते हुए, उसे माला के साथ जोड़कर जिस ‘उत्तर ए’ को सही बताया गया है, वह ग़लत है। हम चम्पा, चमेली, गेँदा इत्यादिक को तब तक फूल नहीँ समझेँगे जबतक उनके आगे ‘फूल’ शब्द प्रयुक्त न हो।

प्रश्न नौ का प्रश्न और उत्तर-विकल्प पूरी तरह से ग़लत हैँ और हास्यास्पद भी। उसका प्रश्नात्मक वाक्य देखेँ :– निम्नलिखित मे प्रत्यय है :
(ए) प्रचार (बी) पूजनीय
( सी) पराजय (डी) पूजनीय।

आयोग ने इसका उत्तर ‘पूजनीय’ बताया है, जबकि चारोँ विकल्प मे कोई प्रत्यय है ही नहीँ। वे सब शुद्ध शब्द हैँ।

प्रश्न तेरहवाँ ग़लत है और उत्तर-विकल्प भी। इतना ही नहीँ, आयोग की ओर से बताया गया उत्तर भी ग़लत है। इसमे उत्तर-विकल्पोँ मे से फ़ारसी-भाषा का शब्द पूछा गया है, जबकि चारोँ विकल्प ग़लत हैँ। आयोग ने ‘आदमी’ को फ़ारसी-भाषा का शब्द बताया है, जबकि ‘आदमी’ अरबी-भाषा का शब्द है।

भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने चौदहवेँ प्रश्न और उत्तर-विकल्प को ग़लत ठहराया है। उस प्रश्न मे वर्तनी की दृष्टि से कोई एक शुद्ध शब्द पूछा गया है, जबकि उत्तर-विकल्प मे दो-दो शुद्ध वर्तनीवाले शब्द दिख रहे हैँ; परन्तु आयोग ने (सी) ‘दुरवस्था’ को शुद्ध बताया है। उसमे एक विकल्प ‘वैश्या’ भी है, जोकि शुद्ध वर्तनीवाला शब्द है, जिसका अर्थ है, ‘वैश्य-जाति की स्त्री’। प्रश्न पन्द्रह मे एक ग़लत युग्म को पूछा गया है। यहाँ भी प्रश्न और उत्तर-विकल्प ग़लत हैँ; दिये गये ग़लत विकल्पोँ मे ‘एश्वर्य-अनैश्वर्य’ एवं ‘उत्साही-निरुत्साह’ भी ग़लत विकल्प हैँ। आयोग ने अपने उत्तर मे (डी) ‘ऐहिक-दैविक’ को ग़लत युग्म बताया है। इस प्रश्न मे तीन ग़लत युग्म हैँ। यहाँ हमारे विद्यार्थियोँ के भविष्य के साथ क्रूर मज़ाक़ किया गया है। आयोग को प्रश्नात्मक विकल्प मे ‘ऐश्वर्य-अनैश्वर्य’ एवं ‘उत्साह-निरुत्साह’ कराना चाहिए था, तब जाकर आयोग-द्वारा सार्वजनिक किया गया उत्तर सही होता।

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने यह आरोप लगाया है कि अधिकतर प्रश्न और उनके उत्तर-विकल्प आदिक अशुद्ध हैँ। जिन प्रश्नात्मक वाक्योँ के अन्त मे उपविरामचिह्न (:) लगाये गये हैँ, वहाँ विवरणचिह्न (:–) प्रयुक्त होँगे। शुद्ध शब्द विद्वान् है, न कि ‘विद्वान’; ‘हलका’ है, न कि ‘हल्का’; ‘मानव-जीवन’ है, न कि ‘मानव जीवन’। ‘सूची’ बहुवचनात्मक शब्द है, ‘सूचियाँ’ का प्रयोग अशुद्ध है। किसी के कथन वा लोकोक्ति इत्यादिक को ही युगल उद्धरणचिह्न (” “) के अन्तर्गत लिखा जाता है, सामान्य वाक्योँ को नहीँ।

आचार्य ने मुख्यमन्त्री आदित्यनाथ योगी से उत्तरप्रदेश लोक सेवा आयोग के सम्बन्धित अधिकारियोँ एवं प्राश्निक/परीक्षकोँ के विरुद्ध कठोर काररवाई करने की माँग की है।

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