बोल कड़ाकड़ सीताराम के उद्घोष के साथ हरैया पहुँचा रामादल


बेनीगंज, हरदोई: बोल ककड़ाकड़ सीताराम के उद्घोष के साथ बुधवार की सुबह 84 कोसी परिक्रमा यात्रा कर रहे रामादल ने हरदोई जिले में प्रवेश किया। सीतापुर बॉर्डर पर गोमती नदी के तट पर अधिकारियों ने रामादल पर पुष्पवर्षाकर स्वागत किया। श्रद्धालुओं ने ग्राम हरैया व उसके आसपास लगभग 5 किलोमीटर दूसरे में डेरा डाल दिया।

नैमिषारण्य की पावन भूमि से परिक्रमा सोमवार को शुरू हुई। पौराणिक 84 कोसी परिक्रमा यात्रा में शामिल श्रद्धालु मंगलवार की रात सीतापुर के गांव में विश्राम करने के बाद बुधवार जनपद के पहले पड़ाव ग्राम हरैया पहुंचे। हरदोई-सीतापुर की सीमा पर गोमती नदी पुल के पास बनाये गये स्वागतद्वार पर एसडीएम पहले से मौजूद रहे। साधु-संतों का एसडीएम सण्डीला, तहसीलदार और पड़ाव मेला प्रभारी ने स्वागत किया ।

राम व कृष्ण ने की थी परिक्रमा-

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान राम और कृष्ण ने स्वयं आकर नैमिषारण्य की 84 कोसी परिक्रमा की थी। मनु व दधीचि और पाण्डव भी यहां आए थे। यही नहीं विक्रम संवत के प्रणेता महाराज विक्रमादित्य ने भी यहां आकर परिक्रमा की थी। वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम ने अपने जीवन का एक वर्ष नैमिष में ही व्यतीत किया था।

संतो ने बताया कि एक बार माता पार्वती ने जनकल्याणार्थ त्रिलोक स्वामी भगवान शिवशंकर से कलियुग में होने वाली तीर्थ यात्रा के संबंध में पूछा कि कलियुग में प्राणी एक लोक की यात्रा के लिए भी समय नहीं दे सकेगा, ऐसे में वह भला तीनों लोकों की यात्रा कैसे करेगा? इस पर भगवान शंकर ने कहा, जो प्राणी कलियुग में नैमिष की 84 कोसीय परिक्रमा करेगा, उसे तीनो लोक की तीर्थयात्रा का अक्षय फल मिलेगा। बताया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि महर्षि दधीचि के शरीर त्यागने से पूर्व उनकी इच्छा को पूर्ण करने के लिए तीनों लोकों के समस्त तीर्थ नैमिष की तपोभूमि में उनके समक्ष विराजमान हुए थे। परिक्रमा से प्राणी को तीनों लोकों के समस्त तीर्थों को करने का फल मिलता है।