हरदोई अर्बन कोऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस आरबीआई ने किया निरस्त 

मार्च माह में बैंक से डेढ़ करोड़ के गबन के मामले के बाद आरबीआई ने हरदोई अरबन कोआपरेटिव बैंक का लाइसेंस निरस्त कर दिया है।मार्च में गबन का मामला बैंक के डायरेक्टर पिता सचिव पुत्र व बैंक मैंनेजर पर दर्ज हुआ था। सूबे  में सरकार बदलते ही अधिकारियों का मिजाज बदल गया है और घोटालों की सिर्फ पोल खुलनी शुरू  गयी बल्कि उनपर कार्रवाई  अम्ल  लाई जाने लगी ,जिसका नमूना अब देखने को मिलने लगा है।इसी के चलते हरदोई जनपद में  बैंक में हुई लगभग डेढ़ करोड़ के गबन का मामला पुलिस ने दर्ज किया  था जिसका लाइसेंस ही निरस्त कर दिया घ।अर्बन कॉपरेटिव बैंक में फर्जी बचत खाते खोलकर करीब डेढ़ करोड़ का गबन किया गया बैंक के अध्यक्ष की तहरीर पर डायरेक्टर, सचिव और बैंक मैनेजर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।  अध्यक्ष की याचिका पर कोर्ट ने जनवरी में मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया था लेकिन राजनैतिक रसूख के चलते कोतवाली पुलिस मामले को दबाए रहे, अध्यक्ष ने दोबारा कोर्ट में दस्तक दी जिसके बाद कोतवाली शहर पुलिस ने तीनों ही आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
             बता दें अर्बन क्वार्टर कॉपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रमन सिंह ने मामला दर्ज कराया है , नवंबर 2016 में रिजर्व बैंक ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत पर बैंक की शाखाओं में जांच की गयी थी जिनमे कई बचत खातों से ओवरड्राफ्ट लिया गया था नियमानुसार बचत खातों में ओवरड्राफ्ट ही नहीं लिया जा सकता यह सुविधा सिर्फ चालू खातों पर ही उपलब्ध है जिसके तहत खाता संख्या 178 और 179 से साढे तीन तीन लाख रुपए निकाले गए खाता संख्या 178 प्रभु दयाल और खाता 179 जगदीश के नाम दर्ज है बैंक में लिखे पते पर खातेदारों का पता किया गया  तोखाते  फर्जी निकले इसके अलावा कई खातों से ओवरड्राफ्ट कर करीब डेढ़ करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई। गड़बड़ी में बैंक के डायरेक्टर दिनेश पाल उनके पुत्र सचिव अनिल सिंह और शाखा प्रबंधक संजय श्रीवास्तव की मिलीभगत सामने आई है अध्यक्ष ने लखनऊ आरबीआई में शिकायत करने के साथ शहर कोतवाली पुलिस में तहरीर दी थी आरबीआई के अवसरों की जांच में भी तीन लोग दोषी पाए गए रमन सिंह ने बताया कि मामले में कोतवाली पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की इस पर रिपोर्ट गए कोर्ट ने 31 जनवरी को कोतवाली पुलिस को तीनों पर रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया था लेकिन राजनीतिक रसु के चलते इन तीनों पर ही मामला दर्ज हुआ जिसके बाद अध्यक्ष द्वारा कोर्ट गए और और न्यायालय के दखल के बाद जब पुलिस की फटकार लगी तो मामला दर्ज हो गया।जिसके बाद आरबीआई ने यह कदम उठाया है।इससे उपभोक्ताओं में हड़कंप है हालांकि बैंक प्रबंधन ने उपभोक्ताओं से धैर्य से काम लेने की अपील की है।