धर्म केवल एक सनातन-धर्म है

राघवेन्द्र कुमार त्रिपाठी ‘राघव’– 


निर्विवाद रूप से ईश्वर एक है। इसी सत्य के आधार पर मनुष्य अपनी संस्कृति, धरती, जाति, भाषा और विश्वास (मान्यता) के अनुसार  ईश्वर, भगवान, ख़ुदा, अल्लाह, परमात्मा, गॉड आदि अलग-अलग नामो से परमपिता को जानता और पुकारता है ।

इस प्रकार यह तो असम्भव है कि परमात्मा एक से ज़्यादा धर्म मनुष्य जाति को दे। वास्तव में प्रचलित पंथों या धर्मो मे से बहुत से धर्म तो स्वयं मनुष्य जाति ने ही बनाये हैं। यह सारे धर्म निराधार हैं। ख़ुदा ने तो एक ही धर्म की स्थापना की है और वह शाश्वत धर्म सनातन है; जिसकी अन्तिमवाणी श्रीमद्भगवद्गीता है। इस एक सदा से चले आ रहे धर्म अर्थात सनातन धर्म का नाम क़ुरआन ने अरबी भाषा मे “इस्लाम” बताया। जिसको क़ुरआन ने दूसरी जगह दीन-ए-कय्यूम अर्थात शाश्वतधर्म के रूप मे परिभाषित किया है। 

दरअस्ल यह सिर्फ़ भाषा का अन्तर है। अन्यथा सत्यता एक ही है कि ‘धर्म एक और केवल एक सनातन ही है’ ।