
बावन में तृतीय दिवस कथा ब्यास सँतोष भाई ने कथामृत का रस बरसाते हुए कहा कि धर्म वही है जो प्राणी मात्र को सुख देकर प्रसन्नता का अनुभव करे।संसार में मनुष्य का शरीर तो प्रभु की कृपा से प्राप्त हो जाता है परंतु शरीर में मानवता की स्थापना पूर्व जन्म के संस्कार एवं संतो की कृपा से ही संभव है। भक्ति ग्यान वैराग्य से परिपूर्ण जीवन ही संतो का आभूषण है।
नारद जी ने गृहस्थी जीवन में क्लेश को देखा और वृन्दावन की यात्रा की।भक्ति महरानी को भागवत कथा सुनाकर उनके पुत्रों को युवावस्था प्रदान करवाई।भगवत भक्ति करने से आनंद की अनुभूति होती है।आनंद हमारे अपने भीतर है लेकिन वह आत्ममंथन करके हमें प्राप्त हो सकता है। जैसे दूध में मक्खन है लेकिन वह दिखाई नहीं देता वैसे मक्खन को प्राप्त करने के लिए दूध से दही-दही का मंथन करके माखन प्राप्त होता है।ब्यास ने कहा कि शास्त्रों में श्रीमद्भागवत कथा को सत्कर्म कहा गया है। भागवत ही सभी ग्रंथों का सार है। क्योंकि भगवान जब भक्त के जीवन में आते हैं तो भक्त के सभी दुख दूर हो जाते हैं। भक्ति के पथ पर परीक्षा में सफल होने पर भगवान के साक्षात दर्शन होते हैं।इस अवसर पर राजेंद्र नाथ मिश्रा देवेंद्र मिश्रा पुनीत सचिन संदीप रामवीर शोभित शिशु राजेश आचार्य सुधीर मिश्रा विपुल मिश्रा आदि भक्त गण मौजूद रहे।